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श्रीनवबृह
वृत्ता"तो तरस अणुमईए अदिवसेवाएँ दाहिणदिसाए । पंडुमहुरं निवेसिय नगरि लीलाएँ तत्थ ठिया ॥ १० ॥ तत्थ5-12 दोषे नागश्रीअतिथिसंगच्छंताण यऽसिं दोवइदेवीए अन्नया जाओ । नामेण पंडुसेणो पुत्तो कल्लाणगुणरासी ॥ ११ ॥ सो जोव्वणमणु-
II कथा. विभागे.
पत्तो कमेण बावत्तरीकलाकुसलो । थेरा य तत्थ केई समोसढा अण्णदियहमि ॥ १२॥ तेसि सयासे धम्म सोऊणं पंडवा विरत्तमणा । रजंमि पंडुसेणं निवेसिऊणं विणिक्खंता ॥ १३ ॥ दोवइदेवीवि समं तेहिं चिय: गिहिऊण पव्वजं । सव्वयनामाए अज्जियाएँ वरसीसिणी जाया ॥ १४ ॥ एक्कारस अंगाई कमेण पढियाई तीए| तेहिंपि । पंडुसुएहिं अहिया संपुण्णा चोदसवि पुव्वा ॥ १५ ॥ छठुट्ठमदसमदुवालसाइविविहेहिं तवविसेसेहिं । ते संताविय देहं विहरति महिं सह गुरूहिं॥ १६ ॥ विहरंतो नेमिजिणो इओ य पत्तो सुरदुविसयंमि । तव्बंदणत्थमेए धेरै आपुच्छिउं चलिया ॥ १७ ॥ पत्ता य हत्थकप्पं नयरं भिक्खाए परियडता य । निसुणंति सिद्धिगमणं जिणस्स उजितसेलंमि ॥ १८ ॥ विहिचत्तभत्तपाणा नीहरिउं तो इमाओ नयराओ। आरूढा ठाउं पाओवगमणेणं ॥ १९ ॥ उप्पन्नऽणंतनाणा सासयसोक्ख लहं गया मोक्खं । कालेण दोवई अज्जियावि ॥ २९५ काऊण विहिमरणं ॥ २० ॥ देवत्तेणं दससागराउया बंभलोयकप्पंमि । उववण्णा ताओं चुया महाविदेहमि
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