SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education भाया अज्जसमिओ नाम पुत्रं पव्त्रइओ सीहागिरिसयासे, सा अन्नया आवन्नसत्ता संपन्ना, ताहे धणगिरी भणइ एस ते गब्भो बिइज्जओ होही, अहं पव्त्रयामित्ति, तओ तीए अणुन्नाओ सहिगिरिसया से गंतुं पव्वइओ, इमीएवि नवहं मासाणं साइगाणं दारओ जाओ, तत्थ य महिलाहिं आगयाहिं भण्णइ - जइ से पिया न पव्त्रइओ होंतो तो लट्ठे होतं, सो सण्णी जाणइ-जहा मम पिया पव्वइओ, तस्स एवं चिंतंतरस जाईसरणं समुप्पण्णं, ताहे रात्तं दिवा य रोवइ जेण निव्त्रिज्जंती अंबा ममं मुयइ, तओ सुहं पव्त्रयामि, एवं च छम्मासा वोलीणा, अण्णया आयरिया समोसढा, ताहे अज्जसमिओ घणगिरी य आयरियं आपुच्छंति जहा जइ तुम्भे संदिसह तो सन्नायगाणि पेच्छामोत्ति, एत्थंतरांमे सउणेण वाहितं, आयरिएहिं भणियं - महालाभो तुम्हं, अज्ज जं सचित्तं अचित्तं वा लहेह तं सव्वं लएह, इच्छंति भणिऊण गया ते सन्नायिगेहूं, उवसग्गिज्जि उमाढत्ता, एत्थंतरंमि अण्णमहिलाहिं भणिया सुनंदा -हला ! एवं दारगं एयाण समप्पेसु, तो कहिं नहिंति ?, पच्छा ताए भणिओ [ ग्रन्थाग्रम् - २०००] धणगिरी --- मए एवइयं कालं संगोविओ एचाहे तुमं संगोवाहि, पच्छा तेण भणियं मा ते पच्छायावो भविस्सइ, ताहे सक्खि काऊण गहिओ छम्मासिओ चोलपट्टएण पत्ताबंधिउं, न रोवइ, जाणइ सन्नी, ताहे तेहिं आयरिएहिं For Private & Personal Use Only 1956660905 www.jainelibrary.org
SR No.600105
Book TitleNavpad Prakaranam
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages710
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy