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________________ Jain Education Inte अस्थि इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे असेसदेसावयंसभूओ भूयप्पेयजक्खरक्खसाइ दुडोवद्दवरहिओ | हियाहियत्थविसयविन्नाणाइसयसमिद्धासियविसिठ्ठलोयाहिडिओ बंगो नाम जणवओ, जो य वयनिवहनि - रंतरोवि अवओ, खयप्पहाणगामनगराइद्वाणोऽचि अक्खयप्पहाणगामनगराइट्ठाणो रम्मयाए परिहवइ सुरलोयं, तत्थ य ठाठाण निरिक्खिज्ज माण जिणभवणभवणाइविचित्तचित्तमंडवो विट्ठविलासिलोय सच्चविज्जंतसारनट्टगी| यवाइयाइविलासवित्थरा तामलित्ती नाम नयरी, जा य परिसकंतविलासिणिमणिनेउरराव मुहरियदियंता नियविहववित्थरं साहइ व्व देसागयनराण, तत्थ य धणधन्नदुपयच उप्पयाइसमिद्धिसमद्धा| सिओ सियकिरणकरनियर सरिसपसरतकित्तिसंभारभरियभुयणंतरो तरणि व्त्र नियबंधुकमलाणं चंदोन्त्र कामिणीनयणकुमुयाणं इंदो व्व विबुहजणमणाणं परमाणंददायी तामली नाम मोरियवंससंभवो गाहावई होत्था, जो य चंदो सूरो इंदो पुण्णयणपहू विहरसई व भाइ सोमत्ततेयईसरियदानमइपयरिसगुणेहिं, अण्णया य तरस सुहसेज्जाए ठियस्स रयणीए पच्छिमजामे कुडुम्बजागरियं जागरमाणस्स एवं चिंता समुप्पण्णा, जहा - पुव्वोवज्जियसुकयसंभारवसओ अस्थि मज्झ पुरिसपरंपरागयं अपरिमयं दविणजायं समं समसुहदुक्खसह पंसुकालियवयंसे हिं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600105
Book TitleNavpad Prakaranam
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages710
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size14 MB
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