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________________ नवपद चूसिभ्मू. देव. वृ. यशो ।। ३५ ।। Jain Education In |सीकयअणेय सामंतपणयपयकमलो । कमलानिलओ राया सिवोत्ति नामेण विक्खाओ ॥ १२ ॥ सीयन्त्र रामदइया गोरिव्व मणोहरा पिया तस्स । धारिणि नाम पसिद्धा सलक्खणा रामसेण व्व ॥ १३ ॥ लावण्णाइगुणेहिं तिजगप्पवरेहि जा विणिम्मविया । मयणस्स कए विहिणा भुत्रणत्तयजयपडायव्त्र ॥ १४ ॥ तीए सह तस्स सुकयाणुभावनिव्वत्तियं विसयसोक्खं । पंचविहमणुहवंतर कोइ कालो वइक्कतो ॥ १५ ॥ अण्णया य-रथणीऍ चरिमजामे सुहसुत्ता धारिणी महादेवी । निययुच्छंगानिविद्धं सीहं सुयणंमि | सा नियइ ॥ १६ ॥ अविय - महुपिंगल केसरभासुरयं धवलत्तणनिज्जियहारसयं । सरयंबुधरं व सविज्जुलयं, पुलएइ | मइदयमेरियं ॥ १७ ॥ एत्थतरंमि - पाहाउयमंगलगेय सहसंवलियतूरनाएणं । पडिबुद्धा सा चिंतइ अदिपुत्रो इमो सुमिणो ॥ १८ ॥ दिट्ठो मएऽज्ज ताऽहं गंतुं दइयस्स चेव साहेमि । इय चिंतिऊण कहिओ सुमिणो निवइस्स | जह दिट्ठो ॥ १९ ॥ तेणावि सुमिणसत्थाणुसारओ भाविऊण भणियमिणं । सुंदरि ! तुह वरपुत्तो होही पडिवक्खगयसीहो ॥ २० ॥ तव्त्रयणायण्णणगुरुपमोय उभिन्न बहुलरोमंचा । देवी जाया नवपाउसंमि अंकुरियपुहइव्व ॥ २१ ॥ तओ - तइयच्चिय तीसे पुव्वसुकयसेसाणुभावओ जाओ । गन्भो सुहंसुहेणं परिवालइ साऽवि तं विहिणा ॥ २२ ॥ For Private & Personal Use Only मिथ्यात्वा तिचारे शिवर्षिज्ञातं ।। ३५ ।। ww.jainelibrary.org
SR No.600105
Book TitleNavpad Prakaranam
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages710
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size14 MB
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