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________________ totec श्री नवपद लघु,अतिथि सं. ॥५२॥ चंडी दहु सुकुमालियं झियायति । सवं साहइ पिउणो जाव य दमगावि परिचयइ ॥ ७॥ जो जो पुरिसा परिणेइ सा सा तेल दोषे गा. चयइ नेच्छए भोत्तुं । तत्तो वेरग्गगया गोवालियमयहरिसगासे॥८॥ पवज्जं गिण्हिता आयावणमाइयं तवमुयारं । काउं मोक्कलिया १२३नागसा जाया कम्मोदएण तओ ॥९॥ हत्थे पाए कच्छाइ धोवए वत्थमाइयमकाले । अजाहिं मयहरिया भणिया वारेह र(ण)त्थाओ श्री दृष्टान्त. ॥१०॥ मयहरिनिवारिया सा जुयवसहिं देवदत्तवसहि च । द8 नियाणकरण पंचहिं पुरिसेहिं मम जोगो ॥११॥ ईसाणे पण- | पणं पलिया परिभुजिऊण कपिल्ले । दोवइ दारिय जाया सयंवरामंडयो तहियं ॥ १२ ॥ तत्थ य जुहिडिलाई कुंतीपुत्ता उ पंडवा | पंच । हत्थिणपुराउ आया वरमाला तेसु पक्खित्ता ॥१३ ॥ दोवय तह अंतेउर नारयरिसिआगमो अनुट्ठाणं । नारयपओस पउ मो धायइसंडमि भरहद्धे ॥१४॥ अंतेउरियसहस्सं अपुवकहणेण दोवईरुवं । देवाराहण अणयण जुहिद्विला पासओ सिग्धं ॥१५॥ | उजाणम्मी राया गच्छइ छम्मास अवहिकरणं च । तत्थ पभाइ जुहिट्ठिल कंतीमाईण कहणाइ ॥१६॥ तो गच्छई य कुंती बारवई वासुदेवपासम्मि । तेण य नारयपुच्छण दोवइसरिसा अवरकंके ॥ १७ ॥ नारी दिट्ठा उमए गयाउ खिप्पं तु तस्स ठाणाओ। पंडवकहणं चलिया छावि जणा सुट्टियागमणं ॥ १८ ॥ नीया परकूलम्मी दूयं पेसेइ आगओ सोवि । पांडवजिणणं कण्हस्स आगमो संखनाएण ॥१९॥ तत्थ तिभागो भग्गो धणुहनिनाएण तह तिभागो य । नगरीरोहे अट्टालभंजणं सीहनादेणं ॥२०॥ तत्तो दोबइपुच्छण भज्जइ पणपइ य वच्छला साउ।ताहे कण्हसमप्पण मुणिसुव्वय पुच्छणं कविलो॥२१॥चंपानयरीए ठियनय मेलो होइ वासुदेवाणं । ताहे समुद्दि संखाण मेलणं धयवरं दिटुं॥२२॥ सुट्टियलवणाहिव तह विसजणे गंगनावतरणेगं ॥ कोवो पंडवनिस्सारणं तु फुप्फासमागमणं ॥२३॥ पडुमहुराए ठाणं हथिणनयराओ निग्गमो तेसि । जाओ य पंडुसेणो कालेणं थेरआगमणं ॥२४॥ ॥५२॥ MORNOREIGRICORICHUAGRANG Jain Education in For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600103
Book TitleNavpada Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevguptasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages138
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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