________________
समासमप्राप्तोपस्थापना
श्रीपश्चव.ाणाद् , अनिष्टफलमेतदिति गाथार्थः ॥३२॥ अतः परं वृद्धसम्प्रदाय:-'अह दोऽवि पियापुत्तजुगलगाणि तो डमो विड़ी उपस्थाप- दो थेर खुड्ड थेरे खुड्डग वोच्चत्थ मग्गणा होइ । रन्नो अमच्चमाई संजइमज्झे महादेवी ॥ ६३३ ॥ नावस्तु ३
दो पुत्तपिआ पुत्ता एगस्स पुत्तोपत्त न उ थेरो।गाहिउ सयं व विअरइरायणिओहोउ एसविआ६३an ॥१०२॥ दो थेरा सपुत्ता समयं पवाविया, एवं 'दो थेर'त्ति दोऽवि थेरा पत्ता ण ताव खुडगा, थेरा उवहावेयबा, 'खडगपत्ति
दो खुड्डा पत्ता ण थेरा, एत्थवि पण्णवणुवेहा तहेव, 'थेरे खुड्डग'त्ति दो थेरा खुड्डगो य एगो एत्थ उवट्ठावणा, अहवा दो खुड्डगा थेरो य एगो पत्तो, एगे थेरे अपावमाणम्मि एत्थ इमं गाहासुतं ॥ ३३ ॥
पुषद्धं कण्ठ्यं, आयरिएण वसभेहिं वा पण्णवणं गाहिओ विअरइ सयं वा वियरइ ताहे खुद्धगो उवठ्ठाविजउ, अणिच्छे रायदिद्वंतपण्णवणा तहेव, इमो विसेसो-सो य अपत्तथेरो भण्णइ-एस ते पुत्तो परममेधावी पुत्तो उवट्ठाविजइ, तुम ण विसजेसि तो एए दोऽवि पियापुत्ता राइणिया भविस्संति, तं एयं विसजेहि, एसवि ता होउ एएसिं रातिणिउत्ति, अओ परमणिच्छे तहेव विभासा, इयाणिं पच्छद्धं-रणो अमच्चाइ'त्ति राया अमच्चो य समर्ग पवाविया, जहा पियापुत्ता तहा असेसं भाणियचं, आदिग्गहणेणं सिद्विसत्थवाहाणं रण्णा सह भाणियवं, संजइमज्झेऽवि दोण्हं मायाधितीणं दोण्ह य मायाधितीजुवलयाणं महादेवीअमच्चीण य एवं चेव सर्व भाणियबं ॥३४॥ राया रायाणो वा दोषिणवि सम पत्त दोसुपासेसु । ईसरसिट्टिअमच्चे निअम घडाकुला दुवे खुड्डे ॥६३५॥
*॥१०२॥
R2525
Jain Educatio
n
For Private
Personel Use Only
Mainelibrary.org