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________________ नन्दिसूत्रम्। ॥११॥ प्रस्तावना। पुष्पो छे. ते वृक्षो पर धर्मरूप फळो छे. [K] ते संघरूप पर्वतनी, विमल वैडूर्यरत्नोनी प्रभावडे श्रेष्ठ तेमज ज्ञानरूपी रत्नोथी दीपी रहेली मनोहर | चूलिका छे. आम पवित्र एवा संघनी मनोहर उपमाओ द्वारा स्तुति अहीं समाप्त करे छे. (३) अने (४)मां कई विशेष वक्तव्य नथी. [५] आ परंपरामा केटलाक महापुरुषोनुं नामोत्कीर्तन तेमना गोत्रनी साथे जोवामां आवे छे. केटलाकमां ते महापुरुषोना श्रामण्यवंशनो उल्लेख प्राप्त थाय छे, तो केटलाकमां कवित्वशक्तिना सुन्दर नमूनारूप हृदयंगम विशेषणो छे. तेओश्री ३७मी गाथामा जणावे छ के " अत्यारे पण अर्धभरतमा जेओनो यश खूब प्रसरेलो छ तेवा स्कंदिलाचार्यने हुँ वंदन करु छु" अहीं आ गाथाना विवेचनमां चूर्णिकार तेमज टीकाकार जणावे छे के "१२ वर्षनो दुकाळ वीती गया पछी तेओए (स्कंदिलाचार्ये) मथुरामां वाचना आपी हती. वळी ते पट्टावलीमां पू. देववाचक गणिए हिमवदाचार्यनी २ श्लोकवडे (३८-३९) पछी नागार्जुनाचार्यनी ३ श्लोकवडे (४० थी ४२) पछी भूतदिनाचार्यनी ३ श्लोक वडे (४३-४४-४५) तेमज दुष्यगणिनी ३ श्लोक वडे (४७-४८-४९) स्तवना करेली छे. ज्यारे सर्व महापुरुषोनी स्तवना क्यांक श्लोकार्धथी तो क्यांक आखा श्लोकवडे करेली छे. ते विद्वानोए लक्ष्यमा लेवा । जेवी वात छे. पट्टावलिना अंतिम श्लोकमां तेओए नमस्कार द्वारा सर्व श्रुतधरोनो संग्रह कर्यों छे. “जे अन्ने भगवते कालिअसुयअणुओगिए धीरे " जे अन्य कालिक-श्रुत-आनुयोगिक धीर पुरुषो छे, तेओने मस्तकवडे प्रणाम करीने हुँ' प्ररूपणा करीश." ॥११॥ Jan Education Intematon For Private Personel Use Only
SR No.600097
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMalaygiri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1969
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size14 MB
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