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संग्रह.
धर्म-18ऊणहिअं। तो अप्पाणं आलोअगं च पाडेइ संसारे ॥१॥” व्यवहारसूत्रेऽप्येतदर्थसंवादी पाठः स्पष्ट
एव, यतः-"भिक्खू अन्नयरं अकिच्चठाणं पडिसेवित्ता इच्छिज्जा आलोइअत्तए पडिक्कमित्तए निंदित्तए ॥२४८॥
वा विउहित्तए वा विसोहित्तए वा अकरणयाए अन्भुट्टित्तए वा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवजित्तिए वा, जत्थेव अप्पणो आयरिअउवज्झाए पासिज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोइत्तए जाव पडिवजित्तए।
णो चेव णं अप्पणो आयरिअउवज्झाए पासिज्जा, जत्थेव संभोइअं साहम्मिअं बहुस्सुअं बज्झागमं पासेजा, कप्पइ से तस्संतिए आलोइत्तए जाव पडिवजितए वा। णो चेव णं संभोइअं साहम्मिअं बहुस्सुअं बज्झागमं पासेजा, जत्थेव अन्नसंभोइअं साहम्मिअं बहुस्सुअं बज्झागर्म पासेज्जा, कप्पइ से तस्संतिए आलोइत्तए, जाव पडिवजित्तए वा । णो चेव णं अण्णसंभोइअं साहम्मिअं बहुस्सुअं बज्झागमं पासेजा, जत्थेव सारूविअं बहुस्सुअं बज्झागमं पासेजा, कप्पइ से तस्संतिए आलोइत्तए जाव पडिवजित्तए वा । णो चेव णं सारूविअं बहुस्सुअं वज्झागमं पासेजा, जत्थेव समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुअं बज्झागमं पासेजा, कप्पइ से तस्संतिए आलोइत्तए जाव पडिवजित्तए वा । णो चेव णं समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुअं बज्झागर्म पासेज्जा, जत्थेव सम्मभाविआई चेइआई पासेजा, कप्पड़ से तस्संतिए आलोइत्तए जाव पडिवजित्तए वा। णो चेव णं सम्मंभाविआई चेइआई पासेज्जा, बहिआ गामस्स नयरस्स वा करयलपरिग्गहिअं सिर-18 सावत्तं मत्थए अंजलिं कटु कप्पड़ से एवं वइत्तए-एवइआ मे अवराहा, एवतिखुत्तो अहं अवरद्धो,
RCHROCARRIAGRA
॥२४८॥
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