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________________ -- - ते.वै. प्र. पृष्ठकरण्ड इत्थिया कुच्छी पावणं अट्ठारस्स य पिक पच्छा व पुरा व अत्तिकडु एवंपियाई वियं मा णं उण्हं मा णं सीयं मा णं वाला मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइ यपित्तियसंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका फुसंतुत्तिकट्ट एवंपियाई अधुवं कादिगणअनिययं असासयं चयावचइयं विप्पणासधम्म पच्छा व पुरा व अवस्सविप्पच्चइयत्वं ॥ एअस्सवि नासू.१६ याई आउसो ! अणुपुवेणं अट्ठारस्स य पिट्टकरंडगसंधिओ बारस पंसलिया करंडा छप्पंसुलिए कडाहे बिहत्थिया कुच्छी चउरंगुलिया गीवा चउपलिया जिम्भा दुपलियाणि अच्छीणि चउकवालं सिरं बत्तीसं दंता सत्तंगुलिया जीहा अछुट्टपलियं हिययं पणवीसं पलाई कालिज्जं दो अंता पंचवामा |पण्णत्ता, तंजहा-थूलंते य १ तणुयंते य २, तत्थ णं जे से थूलते तेण उच्चारे परिणमइ, तत्थ णं जे से तणुयंते तेणं पासवणे परिणमइ, दो पासा पण्णत्ता, तंजहा-वामे पासे दाहिणपासे य, तत्थ णं जे से वामे पासे से सुहपरिणामे, तत्थ णं जे से दाहिणे पासे से दुहपरिणामे ॥ आउसो ! इमंमि सरीरए । सहि संधिसयं सत्तुत्तरं मम्मसयं तिनि अहिदामसयाई नव पहारुसयाइं सत्त सिरासयाइं पंच पेसीसयाइं नव धमणीओ नवनउई च रोमकूवसयसहस्साई विणा केसमंसुणा सह केसमंसुणा अद्भुट्ठाओ रोमकूवकोडीओ। आउसो! इमंमि सरीरए सट्ठी सिरासयं नाभिप्पभवाणं उड्ढगामिणीणं सिरमुवगयाणं ॥३५॥ जाओ ? रसहरणीओत्ति वुचन्ति जाणंसि निरुवघाएणं चक्खुसोयघाणजीहाबलं च भवइ, जाणं सि उवघाएणं चक्खुसोयघाणजीहावलं उवहम्मद ॥ आउसो ! इममि सरीरए सहिसिरासयं नाभिप्प त्य अहिदामसयाई नव केसमंसुणा सह मणीणं सिरमुवघ्याण in duelan For Private Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.600094
Book TitleTandul Vaicharikam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimal Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1922
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_tandulvaicharik
File Size8 MB
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