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धर्मफलम् गा०५६
सुमति
ICI जया गइ बहुविहं, सबजीवाण जाणइ । तया पुन्नं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ ॥ ४६ ॥
जया पुन्नं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ। तया निविदए भोए, जे दिवे जे य माणुसे॥४७॥ साधु
जया निविंदए भोए, जे दिवे जे य माणुसे । तया चयइ संजोगं, सब्भितरबाहिरं ॥ ४८ ॥ दशवै० अ०४
जया चयइ संयोगं, सभितरबाहिरं । तया मुंडे भवित्ता णं, पवइए अणगारियं ॥ ४९ ॥
जया मुंडे भवित्ता णं, पवइए अणगारियं । तया संवरमुकिलु, धम्म फासे अणुत्तरं ॥ ५० ॥ ॥४७॥
जया संवरमुक्टुिं, धम्मं फासे अणुत्तरं । तया धुणइ कम्मरयं, अबोहिकलुसंकडं ॥ ५१ ॥ जया धुणइ कम्मरयं, अबोहिकलसंकडं। तया सबत्तगं नाणं, दंसणं चाभिगच्छह ॥ ५२ ॥ जया सवत्तगं नाणं, देसणं चाभिगच्छइ । तया लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली ॥ ५३ ॥ जया लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली। तया जोगे निलंभित्ता, सेलेसिं पडिवज्जइ ॥ ५४॥ जया जोगे निलंभित्ता, सेलेसिं पडिवजइ । तया कम्म खवित्ता णं, सिद्धिं गच्छइ नीरओ ॥५५॥ जया कम्मं खवित्ता णं, सिद्धिं गच्छइ नीरओ। तया लोगमत्थयत्थो, सिद्धो हवइ सासओ॥ ५६ ॥
४७॥
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