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________________ श्रीजीवाजीवाभि० मलयगिरीयावृत्तिः ३ प्रतिपत्तो पुष्करव राधि उद्देशः२ सू०१७६ ॥३३१॥ XCCCCESCOLOCALCCACOCAKACE5C41. केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते?, गोयमा! सोलस जोयणसतसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं-'एगा जोयणकोडी बाणउति खलु भवे सयसहस्सा । अउणाणउतिं अट्ठ सया चउणउया य [परिरओ] पुक्खरवरस्स ॥१॥ से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेण संपरि० दोण्हवि वण्णओ ॥ पुक्खरवरस्स णं भंते! कति दारा पण्णत्ता?, गोयमा! चत्तारि दारा पण्णत्ता, तंजहा-विजए वेजयंते जयंते अपराजिते॥ कहिणं भंते! पुक्खरवरस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते?, गोयमा! पुक्खरवरदीवपुरच्छिमपेरंते पुक्खरोदसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरवरदीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते तं चेव सव्वं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीओदा णत्थि भाणितवाओ ॥ पुक्खरवरस्स णं भंते! दीवस्स दारस्स य २ एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पण्णत्ते?, गोयमा!-'अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। अगुणुत्तरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स ॥१॥ पदेसा दोण्हवि पुट्ठा, जीवा दोसु भाणियब्वा ॥ से केणटेणं भंते! एवं वुचति पुक्खरवरदीवे २?, गो०! पुक्खरवरे णं दीवे तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिचं कुसुमिता जाव चिटुंति, पउममहापउमरुक्खे एत्थ णं पउमपुंडरीया णाम दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्टितीया परिवसंति, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चति पुक्खरवरदीवे २ जाव निच्चे ॥ पुक्खरवरे णं +%%9554SANSALOCAC+CROCOM ॥३३१॥ For Private Personal Use Only en Eduan in jainelibrary.org
SR No.600089
Book TitleJivajivabhigamopanga Sutra
Original Sutra AuthorChaturdash Purvadhar
AuthorMalaygiri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1919
Total Pages938
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jivajivabhigam
File Size20 MB
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