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________________ र प्रतिपत्तौ जीवास्त्रि श्रीजीवाजीवाभिः मलयगिरीयावृत्तिः भेदाः सू. ४४ स्त्रीभेदाः सू०४५ ॥५२॥ सण्णाओ सरडीओ सेरंधीओ भावाओ खाराओ पवण्णाइयाओ चउप्पडयाओ मुसियाओ मुगुसिओ घरोलियाओ गोव्हियाओ, जोव्हियाओ विरचिरालियाओ, सेत्तं भुयगपरिसप्पीओ। से किं तं खहयरीओ?, २ चउविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-चम्मपक्खीओ, जाव सेत्तं खयरी ओ, सेत्तं तिरिक्खजोणिओ॥ से किं तं मणुस्सिओ?, २ तिविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-कम्मभूमियाओ अकम्मभूमियाओ अंतरदीवियाओ। से किं तं अंतरदीवियाओ ?, २ अट्ठावीसतिविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-एगूरूइयाओ आभासियाओ जाव सुद्धदंतीओ, सेत्तं अंतरदी० ॥ से किं तं अकम्मभूमियाओ ?, २तीसविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-पंचसु हेमवएसु पंचसु एरण्णवएसु पंचसु हरिवंसेसु पंचसु रम्मगवासेसु पंचसु देवकुरासु पंचसु उत्तरकुरासु, सेत्तं अकम्मा। से किं तं कम्मभूमिया ?, २ पण्णरसविधाओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु पंचसु महाविदेहेसु, सेत्तं कम्मभूमगमणुस्सीओ, सेत्तं मणुस्सित्थीओ ॥ से किं तं देवित्थियाओ?, २ चउब्विधा पण्णत्ता, तंजहा-भवणवासिदेवित्थियाओ वाणमंतरदेवित्थियाओ जोतिसियदेवित्थियाओ वेमाणियदेवित्थियाओ । से किं तं भवणवासिदेवित्थियाओ?, २दसविहा पण्णत्ता, तंजहा-असुरकुमारभवणवासिदेवित्थियाओ जाव थणितकुमारभवणवासिदेवित्थियाओ, से तं भवणवासिदेवित्थियाओ। से किं तं वाणमंतरदेवित्थियाओ?,२ अट्ट ४ ॥५२॥ Jain Education U a For Private 8 Personal Use Only l rjainelibrary.org
SR No.600089
Book TitleJivajivabhigamopanga Sutra
Original Sutra AuthorChaturdash Purvadhar
AuthorMalaygiri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1919
Total Pages938
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jivajivabhigam
File Size20 MB
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