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________________ Sakceseseeeeeeeeeeeeeeee गन्धिअस्स कयग्गहगहिअकरयलपभट्ठविप्पमुक्कस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमणिअरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेहप्पमाणमित्तं ओहिनिकरं करेत्ता चन्दप्पभरयणवइरवेरु लिअविमलदण्डं कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवहिं विणिम्मुअंतं वेरुलिअमयं कडुच्छों पग्गहित्तु पयएणं धूवं दाऊण जिणवरिंदस्स सत्तट्ठ पयाई ओसरित्ता दसंगुलिअं अंजलिं करिअ मत्थयंमि पयओ अट्ठसयविसुद्धगन्थजुत्तेहिं महावित्तेहिं अपुणरुत्तेहिं अत्थजुत्तेहिं संथुणइ २ त्ता वामं जाणुं अंचेइ २ त्ता जाव करयलपरिग्गहि मत्थए अंजलिं कट्ठ एवं वयासी-णमोऽत्थु ते सिद्धबुद्धणीरयसमणसामाहिअसमत्तसमजोगिसलगत्तणणिब्भयणीरागदोसणिम्ममणिसंगणीसल्लमाणमूरणगुणरयणसीलसागरमणंतमप्पमेय भविअधम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी णमोऽत्थु ते अरहओत्तिकट्ठ एवं वन्दइ णमंसइ २ त्ता पच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ, एवं जहा अच्चुअस्स तहा जाव ईसाणस्स भाणिअव्वं, एवं भवणवइवाणमन्तर जोइसिआ य सूरपज्जवसाणा सएणं परिवारेणं पत्ते २ अभिसिंचंति, तए णं से ईसाणे देविन्दे देवराया पञ्च ईसाणे विउब्वइ २ त्ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिण्हइ २ 'ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे एगे ईसाणे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेन्ति एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठा, तए णं से सक्के देविन्दे देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ २ ता एसोवि तह चेव अभिसेआणत्तिं देइ तेऽवि तह चेव उवणेन्ति, तए णं से सके देविन्दे देवराया भगवओ तित्थयरस्स चउद्दिास चत्तारि धवलवसमे बिउब्वेइ सेए संखदलविमलनिम्मलदधिधणगोखीरफेणरयणिगरप्पगासे पासाईए दरसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, तए णं तेसिं चउण्हं धवलवसभाणं अट्ठहिं सिंगहितो अट्ठ तोअधाराओ णिग्गच्छन्ति, तए णं ताओ अह तोअधाराओ उद्धं वेहासं उप्पयन्ति २ ता एगओ मिलायन्ति Jan Education For Private Personel Use Only
SR No.600088
Book TitleJambudwip Pragnapati Namak Mupangam Part_2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantichandra Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jambudwipapragnapti
File Size16 MB
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