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श्रीजम्बूद्वीपशान्तिचन्द्रीया वृत्तिः
३ वक्षस्कारे सुषेणेन तिमिश्रगुहादक्षिणकपाटोद्धाट:म.५३
॥२२२॥
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रतलवरमाडंबिअ जाव सत्थवाहप्पभियओ अप्पेगइआ उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिट्ठओ २ अणुगच्छंति, तए णं तस्स ससेणस्स सेणावइस्स बहूईओ खुज्जाओ चिलाइआओ जाव इंगिअचिंतिअपत्थिअविआणिआउ णिउणकुसलाओ विणीआओ अप्पे. गइआओ कलसहत्थगयाओ जाव अणुगच्छंतीति । तए णं से सुसेणे सेणावई सव्विद्धीए सव्वजुई जाव णिग्योसणाइएणं जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइरत्ता आलोए पणामं करेइरत्ता लोमहत्थर्ग परामुसइरत्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइ २ ता दिव्वाए उद्गधाराए अब्भुक्खेइ २ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्चए दुलइ २ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि अ मल्लेहि अ अच्चिणेइ २ ता पुप्फारुणं जाव वत्थारुहणं करेइ २त्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ २ ता अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठमंगलए आलिहइ तं०-सोत्थिय सिरिवच्छ जाव कयग्गहगहिअकरयलपब्भट्टचंदप्पभवइरवेरुलिअविमलदंड जाव धूवं दलयइ २ त्ता वामं जाणुं अंचेइ २ ता करयल जाव मत्थए अंजलिं कट्ट कवाडाणं पणामं करेइ २ ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइअं वइरसारमइअं विणासणं सबसत्तुसेण्णाणं खंधावारे णरवइस्स गड्दरिविसमपन्भारगिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकरं हितकरं रण्णो हिअइच्छिअमणोरहपूरगं दिवमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तह पयाई पञ्चोसक्कइ पच्चोसक्वित्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया २ सरेणं तिक्खुत्तो आउडेइ, तए णं तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेणावइणा दंडरयणेणं महया २ सहेणं तिखुत्तो आउडिआ समाणा महया २ सदेणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाई २ ठाणाई पञ्चोसकित्था, तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स
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