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________________ रउस्सला रेणुकलुसतमपडलणिरालोआ समयलुक्खयाए णं अहिअं चंदा सीअंमोच्छिहिंति अहिअं सूरिआ तविस्संति, अदुत्तरं च णं गोअमा! अभिक्खणं अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा अजवणिजोदगा वाहिरोगवेदणोदीरणपरिणामसलिला अमणुण्णपाणिअगा चंडानिलपहततिक्खधाराणिवातपउरं वासं वासिहिंति, जेणं भरहे वासे गामागरणगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमगयं जणवयं चउप्पयगवेलए खयरे पक्खिसंघे गामारण्णप्पयारणिरए तसे अ पाणे बहुप्पयारे रुक्खगुच्छगुम्मलयवल्लिपवालंकुरमादीए तणवणस्सइकाइए ओसहीओ अ विद्धंसेहिंति पवयगिरिडोंगरुत्थलभट्ठिमादीए अ वेअगिरिवजे विरावेहिंति, सलिलबिलविसमगत्तणिण्णुण्णयाणि अगंगासिंधुवज्जाई समीकरे हिंति, तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ !, गोयमा! भूमी भविस्सइ इंगालभूआ मुम्मुरभूआ छारिअभूआ तत्तकवेल्लुअभूआ तत्तसमजोइभूआ धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणयबहुला चलणिबहुला बहूणं धरणिगोअराणं सत्ताणं दुन्निकमा यावि भविस्सई । तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ !, गोयमा! मणुआ भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुगंधा दुरसा दुफासा अणिहा अर्कता अप्पिा असुभा अमणुन्ना अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिहस्सरा अकंतस्सरा अपिअस्सरा अमणामस्सरा अमणुण्णस्सरा अणादेज्जवयणपञ्चायाता णिल्लज्जा कूडकवडकलहबंधवेरनिरया मज्जायातिकमप्पहाणा अकन्जणिच्चज्जया गुरुणिओगविणयरहिआ य विकलरूवा परूढणहकेसमंसुरोमा काला खरफरुससमावण्णा फुट्टसिरा कविलपलिअकेसा बहण्डारुणिसंपिणदुरसणिजरूवा संकुडिअवलीतरंगपरिवेढिअंगमंगा जरापरिणयब थेरगणरा पविरलपरिसडिअदंतसेढी उन्मउघडमहा विसमणयणवंकणासा वंकवली विगयभेसणमुहा विकिटिभसिन्भफुडिअफरसच्छवी चित्तलंगमंगा. कच्छखसरामिभूआ Jain Education a l For Private Personel Use Only Parw.jainelibrary.org.
SR No.600087
Book TitleJambudwip Pragnapati Namak Mupangam Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantichandra Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages768
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jambudwipapragnapti
File Size16 MB
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