SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीजम्यूद्वीपशान्तिचन्द्रीया वृत्तिः ॥९७॥ २वक्षस्कारे सुषमसुषमाधिकार: सू. १९ वासे बहवे उद्दाला कुद्दाला मुहाला कयमाला णट्टमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला सेअमाला णामं दुमगणा पण्णता, कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीअमंतो पत्तेहि अ पुष्फेहि अ फलेहि अ उच्छण्णपडिच्छण्णा सिरीए अईव २ उबसोमेमाणा चिट्ठति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ बहवे भेरुतालवणाई हेरुतालवणाई मेरुतालवणाई पभयालवणाई सालवणाई सरलवणाई सत्तिवण्णवण्णाई पूअफलिवणाई खजूरीवणाई णालिएरीवणाई कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूलाई जाव चिट्ठति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ बहवे सेरिआगुम्मा णोमालिआगुम्मा कोरंटयगुम्मा बंधुजीवगगुम्मा मणोजगुम्मा बीअगुम्मा बाणगुम्मा कणइरगुम्मा कुजायगुम्मा सिंदुवारगुम्मा मोग्गरगुम्मा जूहिआगुम्मा मल्लिआगुम्मा वासंतिआगुम्मा वत्थुलगुम्मा कत्थुलगुस्मा सेवालगुम्मा अगत्थिगुम्मा मगदंतिआगुम्मा चंपकगुम्मा जातीगुम्मा णवणीइआगुम्मा कुंदगुम्मा महाजाइगुम्मा रम्मा महामेहणिकुरंबभूआ दसद्धवणं कुसुमं कुसुमेति जे णं भरहे वासे बहुसमरमणिजं भूमिभागंवायविधुअग्गसाला मुक्कपुष्फपुंजोवयारकलिअं करंति, तीसे गं समाए भरहे वासे तत्थ तहिं तहिं बहुईओ पउमलयाओ जाव सामलयाओ णिचं कुसुमिआओ जाव लयावण्णओ, तीसे गं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २ बहुइओ वणराइओ पण्णत्ताओ किण्हाओ किण्होभासाओ जाव मणोहराओ रयमत्तगछप्पयकोरगभिंगारगकोंडलगजीवंजीवगनंदीमुहकविलपिंगलक्खगकारंडवचक्कवायगकलहंसहससारसअणेगसउणगणमिहुणविअरिआओ सहुणइयमहुरसरणाइआओ संपिंडिअ० णाणाविहगुच्छ० वावीपुक्खरणीदीहिआसु असुणि० विचित्त० अन्भि० साउन्त० णिरोगक० सबोउअपुष्फफलसमिद्धाओ पिंडिमजावपासादीआओ ४, ( सूत्रं १९) ॥९७॥ Jain Education Interio For Private Personal Use Only V inelibrary.org
SR No.600087
Book TitleJambudwip Pragnapati Namak Mupangam Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantichandra Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages768
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_jambudwipapragnapti
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy