SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥३३१॥ %ecitie CEO दत्तवान् । नन्दननामानि तु इमानि-- संखो अ विस्तसम्मो विमल-मुलक्खण य अमल-चित्तंगो । तह खायकित्ति-वरदत्त-दत्त-सागर-जसहरो य ॥१॥ वर-थवर कामदेवो धुव बच्छो नंदसूर य सुनन्दो । कुरु-अंग-बंग-कोसल-वीर-कलिंगे अमागहविदेहे ॥२॥ संगम-दसन्न-गंभीर-वसुबम्म-सुबम्म-रद्वय सुरहे । बुद्धिकरे विविहकरे सुजसे जसकित्ति-जसकरए ॥३॥ कितिकर-सुरण-भसेन विकन्तउ नरुत्तमओ। तह चंदसेण महसेण-मुसेणे (णहसेन) भाणु-कन्ते अ (सुकंते अ) ॥४॥ पुप्फरओ सिरिहरो दुरिसो सुंसुमार दुजओ अ । जयमाण सुधम्म धम्मसेण आणंदगा-गंदे ॥५॥ गंदो अवरागिन विस्मसेग हरिसेणओ जओ विजओ । विजयंत पहाकरो अरिदमणो माण महबाहु ॥६॥ तह दीहवाहु मेहे सुघोस तह विसवराह-सुसेणे (सेनावइ)। कविले सेलविआरी अरिंजओ कुंजरबलो अ ॥७॥ जयदेव नागदत्तो पासब-बलबीर-सुधमई सुमई । तह पउमनाह सीहो मुजाई संजय सुनाहो य ॥८॥ नरदेव वित्तहर-सुरवरो अदढरह-पभंजणा पए । अडनवइ भरहभाया संखाइपभंजणवसाणा ॥९॥ राज्यदेशनामानि-ग-बंग-कलिंग - गोड-चौड-कर्णाट-लाट-सौराष्ट्र-काश्मीर-सौवीर-आमीर-चीण-महाचीणगुर्जर-बंगाल-श्रीमाल-नेपाल जहाल-कौशल-माला-सिंहल-मरुस्थलादीनि ॥ (अभितिरित्ता पुगरवि लोतिपहिं जिअकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इट्टाहिं जाव वग्गूहिं सेसं तं चेव भाणियव्वं जाव दागं दाइयाण परिभाइत्ता) < अभिषिच्य पुनरपि लोकान्तिकः जितकल्पितैः देवैः ताभिः इष्टाभिः. -XI-RICA ॥३३१ Jain Educ a tional For Privale & Personal Use Only brary.org
SR No.600079
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorSuryodaysuri, Dharmsagar
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1989
Total Pages458
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy