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________________ संपादकीय। ीमती नियुक्तिः // 13 // वळी आउना कार्यमा ओतप्रोत सुश्रावक केशरीचंद हीराचंद झवेरी के जेओए मने वारंवार आ कार्य माटे प्रेरणा करी छे तेमने पण याद करी मारु निवेदन पूर्ण करता पूर्वे लखवानुं के आ प्रत वांचता पूर्वे शुद्धिपत्रकमांथी भूलो जोइ शुद्ध करी पछी वाचवाना उपयोगा लेशो। आ भूलो रहेवानां मुख्य कारणो छ अमारो विहार, तथा प्रसवाळाना कंपोझोटरनी त्रीजा अफमां पण सुधारवानी बेदरकारी, आथी मारे अत्यारे तो दिलगीरी व्यक्त करवी एज मार्ग छ / छतां पण जेओ ते भूलो मने बतावशे ते भूलोने सन्मान साथे स्वीकारी बीजी आवृत्ति वखते ते उपर पूरतु ध्यान आपीश...। पर्युषणा प्रथम दिन वी. सं. 2500 वि. सं. 2030 जैन उपाश्रय, सुरेन्द्रनगर. [सौराष्ट ] इति भद्र' भवतु श्रमणसङ्घस्य पं. सूर्योदयसागर For Private & Personal use only
SR No.600075
Book TitleOgh Niryukti
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Gyansagarsuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_oghniryukti
File Size20 MB
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