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________________ प्रकाशकीय। मती नियुक्तिः // 14 // -: प्रकाशकीय निवेदन :श्री जैनागम पंचागीमां अद्यावधि अप्रकाशित ग्रंथोने प्रकाशित करवानी अमारी योजनामां श्री ओपनियुक्ति अवचरी ग्रंथ प्रकाशन करतां अनेरो आनंद अनुभवाय छ / आ ग्रंथनो कमांक नबर 121 छे, 500 वर्ष पूर्व आ अवचरीनुं निर्माण पूज्य आचार्य भगवंत श्री ज्ञानसागर सूरीश्वरजीए कयु हतुं, जे अद्यावधि अमुद्रित छ / आ ग्रंथ साधु भगवंतोने जे दिवस दीक्षा ले तेज दिवसे आपी शकाय तेवो छ / तेमां साधुनी चर्यानुं वर्णन सरस रीते आप्यु छ / अल्प वाधवाळा पण गाथानो भावार्थ अवगैथी मेळवी शके तेवी सरळ आ अवचरी छ / आज विशेषताना कारणे आ ग्रंथर्नु मुद्रण करावोय छे / आमां गाथा, क्रमांक, विषय तथा कठीन शब्दोना अर्थ आदि परिशिष्टो संपादकश्रीए बनावी आ ग्रंथने वधु सुगम बनान्यो छे। आ ग्रंथ सौंपादननी अमारी आग्रहपूर्ण विनंतिनो स्वीकार पूज्य आगमोद्धारक आगममंदिरसंस्थापक आचार्यदेवेश श्री आनंदसागरसूरीश्वरजी महाराज साहेबना शिष्यरत्न विद्वद्वर्य पूज्य पंन्यासप्रवर श्री सूर्योदयसागरजी महाराजे कों जेना फलस्वरूप आ ग्रंथ प्रकाशित थइ रह्यो छे। प्रस्तुत ग्रंथ संपादन करवाने प. पंन्यासजी महाराजश्रीए जे परिश्रम उठाव्यो छे ते बदल अमो सहु संस्थावती आभार व्यक्त करीए छीए / ली. मोतीचंद मगनलाल चोकसी मुबाई मेनेजींग ट्रस्टी // 14 // aid Jain Education International For Privale & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600075
Book TitleOgh Niryukti
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Gyansagarsuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_oghniryukti
File Size20 MB
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