________________ संपादकीय श्रीमती गोपनियुक्तिः / // 11 // आ ग्रंथना संशोधनमां आ प्रतो उपरांत मोटी टीकानी मदद लीधी छे / मोटी टीकामां भाष्य तथा नियुक्ति गाथाना अलग नंबरो आप्या छे / शरुआतमां अलग नंबरो राख्या पण आ अवचरीमा विशिष्ट प्रयोजन नथी तेवु' समजमां आवतां ते गाथाओना नंबरो अलग नथी कर्या पण सळंग नंबरो कर्या छ / तेथी भाष्यगाथा कयी छे ते जोवा माटे मोटी टीका जोवा सूचना छ। आ ग्रंथनी चरम गाथामां 1149 संख्यानो उल्लेख छे ते मुजब आ ग्रंथमा मूळ गाथानो 1149 आंक मळे छ / वळी आ अवचरीमा केटलीक एवी गाथाओ छे के जे द्रोणीयवृत्तिवाली ओपनियुक्तिमा नथी / तेमज मुख्य टोकाओमा अमुक गाथाओ ओछी छे तेवु लागे छ / आ ग्रंथनी केटलीक गाथाओ बृहत्कल्प पंचवस्तु आदिने मळती छे ते जाणवा सारु लखाय छ / 440 पत्र सुधी मलग्रंथ छे / श्लोक संख्या 3300 प्रमाणनी छे / बाद परिशिष्ट 1 मां ओपनियुक्ति अवचरी उद्धार गाथाओ 127 मुद्रित करी छ / तेमां प्रथम आंक क्रमांकनो छे अने प्रेकेट[ ] मां आपेलो आंक छे ते गाथाओनो आ ग्रंथमां कयो आंक छे ते बतावे छ / 453 थी 458 सुधी शुद्धिपत्रक छ / 459 थी 470 पत्र सुधीना परिशिष्ट नं. 2 मां अवचरीकारे जे मूल शब्दनो अर्थ' संस्कृत भाषामा लख्यो छे तेनी नोंध मूकी छे / काइक ठेकाणे में गुजराती भाषामा तेनो अर्थ लख्यो छे / / परिशिष्ट 3 मां अकारादिक्रमे गाथाश्रोनी क्रमसर नोंध करी छ जे अभ्यासीओने तेमज संशोधकाने // 12 // Jan Edana For Private & Personal Use Only www.janesbrary.org