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________________ उत्तरा० अवचूर्णिः ॥३१९॥ जीवाजीवविभक्तिरितिनाम पटुिंशत्तममध्ययनम् हा। सुसमानसिं चुछ अंतोमुहुत इत्थं नैरयिकानभिधाय तिरश्चान् आह पंचिंदियतिरिक्खा उ दुविहा ते वियाहिया । संमुच्छिमतिरिक्खा उ, गम्भवतिया तहा ॥ १५४३ ॥ दुविहावि ते भवे तिविहा, जलयरा थलयरा तहा । खहयरा य बोद्धव्वा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १५४४ ॥ मच्छा य कच्छभा य, गाहा य मगरा तहा । सुंसमारा य बोद्धव्वा, पंचहा जलयराहिया ॥१५४२ ॥ लोएगदेसे ते सव्वे, न सवत्थ वियाहिता। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउबिह ॥१५४६॥ संतई पप्पऽणाईया॥१५४७॥ इक्का य पुत्वकोडीओ, उक्कोसेण वियाहिया । आउठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ १५४८॥ पुवकोडीपुहुत्तं तु, उक्कोसेण वियाहिया । कायठिई जलयराणं, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ॥ १५४९ ॥ अणंतकालमुक्कोसं० जलयराणं तु अंतरं ॥ १५५० ॥ एएसिं वन्नओ चेव०॥ १५५१॥ चउप्पया य परिसप्पा, दुविहा थलयरा भवे । चउप्पया चउविहा उ, ते मे कित्तयओ सुण ॥१५५२॥ एगखुरा दुखुरा चेव, गंडीपयसनप्फया । हयमाई गोणमाई, गयमाई सीहमाइणो ॥१५५३ ॥ भुओरगपरिसप्पा, परिसप्पा दुविहा भवे । गोहाई अहिमाईया, इविका णेगहा भवे ॥ १५५४ ॥ लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया । इत्तो कालविभागं तु, तेसिं बुच्छं चउबिह ॥१५५५ ॥ संतई पप्पऽणाईया०॥१५५६॥ पलिओवपा उ तिन्नि उ, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई थल पराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥१५५७ ॥ पलिओवमा उ तिन्नि उ, उक्कोसेणं वियाहिया । पुचकोडीपुहुत्तं तु, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ।। १५५८ ॥ कायठिई थलयराणं, अंतरं तेसिमं भवे । कालं अणंतमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ १५५९॥ १०-KO-X-KOKEKOKDOKOK-KOKORK तिरश्वान् खरूपम् ॥३१९॥ Jain Education For Privale & Personal use only salhajainelibrary.org
SR No.600070
Book TitleUttaradhyayanani Uttararddha
Original Sutra AuthorChirantanacharya
AuthorKanchansagarsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1889
Total Pages480
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size22 MB
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