________________
5AHARASANAMASKAR
परसमयविसारए य असंघायणिजे भवइ ५९ ॥ दंसणसंपन्नयाए णं भंते?, २ भवमिच्छत्तछेयण करेइ परं न विज्झायइ, अणुत्तरेणं नाणदंसणेणं अप्पाणं संजोएमाणे सम्मं भावेमाणे विहरइ ६०॥ चरित्तसंपन्नयाए णं भंते?, २ सेलेसीभावं जणेइ, सेलेसिं पडिवन्ने अणगारे चत्तारि कम्मंसे खवे, तओ पच्छा सिज्झइ ५, ६१॥ सोइंदियनिग्गहेणं भंते० १, २ मणुनामणुन्नेसु सद्देसु रागद्दोसणिग्गहं जह तप्पच्चइयं च णं कम्मं न बंधइ पुव्वबद्धं च निजरेइ ६२॥ एवं चक्खिदिय०६३ ॥ घाणिदिय०६४॥जिभिदिय० ६॥ फासिंदिय० ६६॥ कोहविजएणं भंते !०१, २ खंतिं जणेइ कोहवेयणिजं कम्मं न बंधइ पुवनिबद्ध च निजरेइ ६७॥ एवं माणविज. मद्दवं ६८॥ माया० अजवं ६९॥ लोभ० संतोसं ७०॥ पिजदोसमिच्छादंसणविजएणं भंते०, २ नाणदंसणचरित्ताराहणयाए अन्भुटेइ अट्ठविहस्स कम्मस्स कम्मगंठिविमोयणयाए, जातप्पढमयाए जहाणुपुर्वि अट्ठावीसइविहं मोहणिजं कम्मं उग्घाएइ, पंचविहं नाणावरणिजं नवविहं दस-15
णावरणिजं पंचविहं अंतरायं, एए तिनि कम्मंसे जुगवं खवेइ, तओ पच्छा अणुत्तरं अणंतं कसिणं पंडि-13 पुन्नं निरावणं वितिमिरं विसुद्धं लोगालोगप्पभासगं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेइ जाव सजोगी हवइ ताव य इरियावहियं कम्मं निबंधइ-सुहफरिसं दुसमयहिईयं, तं पढमसमए बद्धं बिइयसमए वेइयं तइयसमए निजिन्नं, तं बद्धं पुढं उदीरियं वेइयं निजिन्नं, सेयाले अकम्मं चावि भवइ ७१ ॥ अहाउयं पालइत्ता अंतोमुहुत्तद्धावसेसाए जोगनिरोहं करेमाणो सुहमकिरियं अप्पडिवाई सुक्कज्झाणं झायमाणे तप्पढमयाए
Jain Education in
For Private & Personel Use Only
wjainelibrary.org