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________________ पारशिष्ट आवश्यक ६ छट्ठा आवश्यक 'प्रत्याख्यान' मूत्र संबंधी संपूर्ण साहित्य प्रत्याख्यान सूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, वृत्ति, नियुक्तरवा ' उद्धारविचार'नी प्रत पाटण ज्ञानभंडारमा छे. चूर्णिः । 'प्रत्याख्यान स्वरूप ' कर्ताः यशोदेवमूरि श्लोक ५५० सं. १९८३ पाटणमा छे. 'प्रत्याख्यान चूर्णि' श्लोक ४०० अजमेरमा छे. ॥८॥ 'प्रत्याख्यान विचाराम० कर्ताः श्री शालिभद्रमरि गा० २३७ श्लोक २८० पाटणमा छे. 'प्रत्याख्यान स्थान विवरण' कर्ताः जयचंद्रसरि श्लोक ७०० पाटण ज्ञानभंडारमा छे. 'सागार प्रत्याख्यान विधि ' ताडपत्र प्रत पाटणमा छे. उपरोक्त छ आवश्यकनी रचना अने तेनी जुदी जुदी रचना जे जणाची; तेमांनी केटलीक छपाई छे अने केटलीक छपाई नथी. ज्यां सुधी जाणवामां छे त्यां सुधी ते छपायेल तरीके जणावी छे. विवरण: मुख्य तथा गद्यमां रचायेल आ आगम पर गा० १६२३ श्लोक २५०० प्रमाण विस्तृत अने मार्गदर्शक नियुक्ति श्री भद्रबाहु स्वामीजीए रची छे. एनी गा० ६०० थी ६४१ सुपसिद्ध गणधरवादना बीजनी गरज सारे छे. o आ नियुक्ति पर घे भाष्य छ : (१) १८३ पद्यमय मूळ भाष्य अने (२) ३०० पद्यमय बीजु भाष्य.. विशेषमा प्रथम अध्ययन पूरती अने कर्त्ताए जाते — विसेसावस्सयभास (विशेषावश्यक भाष्य )' तरीके निर्देशेल मन-IN नीय आगमोना अनुरागीने शोभे तेवी तार्किकदृष्टिपूत महामूल्य एवी कृति श्री जिनभद्रगणि क्षमाश्रमणे पध ४३३६ श्लोक ५००० प्रमाण रची छे. JainEducationie For Private Personel Use Only www.jainelorary.org
SR No.600065
Book TitleAvashyaksutra Niryuktirev Curni Part_2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri, Gyansagarsuri, Bhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size15 MB
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