SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट आवश्यक नियुक्तेरवचूर्णिः । ॥७॥ 'श्रावक प्रतिक्रमग मत्र चूणि ' कर्ताः पिपलीया गच्छना श्री विजयसिंहसूरि श्लोक ४५९० सं. ११८३ पाटण ज्ञानभंडारमा छे. 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र वृत्ति' फर्ताः श्री चंद्रमूरि लोक १९५० सं १२२२ पाटणमां छे. 'श्राद्ध प्रतिक्रमण मूत्र लघुत्ति' कर्ताः श्री तिलकाचार्य श्लोक २०० पाटण, खंभात, अमदावादमां छे. 'श्राद पतिक्रमण मूत्र वृत्ति' कर्ताः श्री पाच मूरि लोक ५७७ सं. ९५६ पाटण भंडारमा छे. 'श्रावक प्रतिक्रमण मूत्र वृत्ति' कर्ताः तपा० श्री जिनहर्ष गणि श्लोक ७१८ सं. १५२५ आ एक ज प्रत पूना भा० प्राच्य विद्यामंदिरमा छे. तेनी साथे ' श्री प्रतिक्रमण मूत्र अवचूरि' कर्ताः तपा० कुलमंडनमूरि श्लोक १६२० नी छे. जे पूना भां० प्रा. वि. मां छे. 'प्रतिक्रमण वृत्ति' कर्ताः श्री सिंहदत्त मूरि (दिगं० ) पाटण ज्ञानभंडारमा छे. 'पतिक्रमग क्रमविधि' कर्ताः आ० जयचंद्रसूरि श्लोक ९०० सं. १५०६ पाटण ज्ञानभंडारमा छे. छपाई पण छे. 'प्रतिक्रमण संग्रहिणी' गा० १०० श्लोक ११५ पूना भां० मा. वि. मां० छे. 'ईपिथिकी ' अपरनाम ' ईर्यावही ' सूत्रचूर्णि कर्ताः यशोदेवसूरि श्लोक १५० पाटण ज्ञानभंडारमा छे. ५ आवश्यक सूत्र पांचमा आवश्यक कायोत्सर्ग' संबंधी ग्रंथरचनानो अत्र निर्देश करेल छे'कायोत्सर्ग आवश्यक मूत्र ' नियुक्ति, भाष्य, उद्धारनी प्रत पाटण ज्ञानभंडारमा छे. आ एक ज प्रत छे. आने लगतुं स्वतंत्र लखाण जुएं जणातुं नथी ने माटेनुं ते लखाण षड् आवश्यक साथे ज छे; त्यांची जाणी लेवु. Jain Education Intel A For Private & Personel Use Only How.jainelibrary.org
SR No.600065
Book TitleAvashyaksutra Niryuktirev Curni Part_2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri, Gyansagarsuri, Bhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy