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________________ र नि आवश्यकनियुक्तेरव परिशिष्ट चूर्णिः । : ३ 'वंदनक' पर नियुक्ति, चूर्णि, भाष्य, वृत्ति, स्तवोदार अने आलापक 'एछ कृतिओ पाटण भंडारमा छे. 'वंदनक अवचूर्णि' कर्ताः यशोदेव श्लोक ७२० पाटणमा छे. 'वंदनकवृत्ति' कर्ताः श्री तिलकाचार्य पाटणमा छे. आ उपरांत आवश्यक साथे तेनी वृत्ति, अवचूरि पण छे ते पइ आवश्यक मूत्रमाथी जाणवी. 'वंदन, प्रतिक्रमण अवचूरि' प्रकाशक:-देवचंद लालभाई मूरत. ४ चोथु 'प्रतिक्रमण' आवश्यकना वे प्रकार छः (१) साधु माटे अने (२) श्रावक माटे. तेनुं कारण ए छे केसाधुने पांच महावत आलोववानां होय छे, ज्यारे श्रावकने समकित मूल बार व्रत आलोववानां होय छे. आ कारणे एवंनेना कोई कोई ग्रंथो जुदा पण छे. . 'साधु श्राद्ध प्रतिक्रमण मत्र पद पर्याय मंजरीभो'नी प्रत पाटण ज्ञानभंडारमा छे. तेनी साथे चैत्यवंदनादि सूत्र पण छे. कर्ताः श्री अकलंकदेव कोक ५००. 'साधु श्राद प्रतिक्रमण चैत्य गुरुवंदन अवचूरि' नी प्रत लींबडी ज्ञानभंडारमा छे. लोक ८०० अप्रसिद्ध छे. 'साध प्रतिक्रमण वृत्ति' कर्ताः श्री तिलकाचार्य श्लोक २९६ पाटणना भंडारमा छे. 'साधु प्रतिक्रमग वृत्ति' कर्ताः खर० श्री जिनप्रभसूरि श्लोक ९४८ पाटण ज्ञानभंडारमा छे. 'साधु प्रतिक्रमण मूत्र वृत्ति' कर्ताः पाश्वदेवसूरि श्लोक ६७२ पाटण ज्ञानभंडारमा छे. 'श्रावक प्रतिक्रमण मूत्र' अपरनाम 'वंदित्तामूत्र' गणधरकृत गाथा ५० श्लोक ६० मुलभ. : Jain Education InteTHA For Private Personal Use Only w.jainelibrary.org
SR No.600065
Book TitleAvashyaksutra Niryuktirev Curni Part_2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri, Gyansagarsuri, Bhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size15 MB
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