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परिशिष्ट
आवश्यकनियुक्तेरेव
चूर्णिः ।
'आवश्यक सूत्रवृत्ति ' कर्ताः-श्री मलयगिरिसूरि श्लोक २२००० छपायु. प्रकाशक:-श्री आगमोदयसमिति, मूरत.
'आवश्यक लघुवृत्ति' कर्ताः श्री तिलकाचार्य सं. १२९६. पाटण, अमदावादना ज्ञानभंडारमा छे. छपाई नथी; तेना आदि अने अंत भागनो आ बीना भागमा परिशिष्ट बीजामा समावेश करवामां आव्यो छे.
'आवश्यक अपचूर्णि' कर्ताः श्री ज्ञानसागरसूरि सं. १४४० पाटण, अमदावादमा छे. जे आ ग्रंथ तरीके | प्रकाशित थाय छे.
'आवश्यक सूत्र अवचूरि' कर्ताः श्री शुभवर्धन गणि अमदावादना ज्ञानभंडारमा छे ते अप्रसिद्ध अने अमुद्रित छे. 'आवश्यक मूत्र भाष्य पर टिप्पनक' कर्ताः श्री मलधारी गच्छीय आ. श्री हरिभद्रसूरि श्लोक ४६४० छपायेल छे.
'आवश्यक मूत्र भाष्य पर भाष्य 'कर्ताः कोटथाचार्य मुद्रित थयेल छे. कोट्याचार्यनी बीजी वृत्ति पण जाणवामां आवो छे. पायः ए पण होय. ___ 'विशेषावश्यक भाष्य पर शिष्यहिता वृत्ति' कर्ताः-मलधारी गच्छीय आ. हेमचंद्रसूरि श्लोक २८००० पाटण अमदावाद, पूनाना ज्ञानभंडारमा छे. तेनो प्रत ' विशेषावश्यक (जीण) वृत्ति' श्लोक १४०००. पाटण भंडारमा छे. तेनो उद्धार करवा जेवो छे.
आवश्यक सूत्र (पइ आवश्यक ) वृत्ति अपरनाम 'वंदारुवृत्ति' कर्ताः- श्री देवेन्द्रसूरि श्लोक प्रायः ५००० छपायेली छे.
॥३॥
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