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________________ वृत्तिः रीया उपक्रमाधि० अनुयो० म्-अवस्थानं भुवि यस्याः सा गोधा चौवनद्वा गोधिका-वाद्यविशेषो दर्दरिकेत्यपरनाम्ना प्रसिद्धा, आडमलधा- 13म्बरः-पटहः, सप्तममिति निषादमित्यर्थः । एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पण्णत्ता, तंजहा-सजेण लहई वित्तिं, ॥१२९॥ कयं च न विणस्सइ। गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीणं होइ वल्लहो ॥८॥ रिसहेण उ एसज्ज (पसेज), सेणावच्चं धणाणि अ । वत्थगंधमलंकारं, इथिओ सयणाणि य ॥९॥ गंधारे गीतजुत्तिपणा, वज्जवित्ती कलाहिआ। हवंति कइणो धण्णा, जे अण्णे सत्थपारगा ॥ १०॥ मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो । खायई पियई देई, मज्झिमसरमस्सिओ ॥ ११ ॥ पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीपई । सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणनायगा ॥ १२ ॥ रेवयसरमंता उ, हवंति दुहजीविणो । कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडालमुट्ठिया ॥ १३॥ णिसायसरमंता उ, होति कलहकारगा । जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा ॥ १४ ॥ १ साउणिया वाउरिया सोयरिया य मुद्विआ इति पाठानुसारिणी वृत्तिः, PROCAMACHCALAMICROMANCES ॥१२९॥ Jain Education For Private & Personal use only djainelibrary.org
SR No.600060
Book TitleAnuyogadwarasutram Uttarardham
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size23 MB
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