SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किश्चि द्वक्तव्य श्री अध्या. ४३ जयानंदकेवलीचरित्र (श्लोकबद्ध), श्लोकसंख्या ६०७५ । ४ नरवर्मचरित्र, श्लोकसंख्या ५०० । ४५ मित्रचतुष्टयकथा - धनवि. श्लोकसंख्या १४६०, रच्या काल १४८४ । ६ चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र, श्लोकसंख्या ५७५ । ७ स्तोत्ररत्नकोष, लोकसंख्या ११५०।। . रत्न० वृत्ति. ISI४८ संतिकरं स्तोत्र, गाथा १३ । ९ सीमंधरजिनस्तुति । *१० साधारणजिनस्तुति । ॥२४॥ ___ यद्यपि आथी विशेष ग्रंथो पण सूरिवरना बनावेला होवानो असंभव तो नथी ज! परंतु अमोए आ ग्रंथसूचि मात्र जैनग्रंथावली ना आधारे आपी छे! ___ आ उपरथी समझवानुं के आ सूरिवर एक सारामां सारा संस्कृतप्राकृतादि-भाषाना धुरंधर विद्वान् हता, एटलं ज नहीं, किंतु मंत्र शास्त्रना पण सारा निष्णात हता, के जे बाबतना प्रमाणमा एमर्नु बनावेलुं संतिकरं स्तोत्र अने तेनो महिमा सुप्रसिद्ध छे. एनी अंदर एवी तो उत्तम मंत्रानाय एओश्रीए गोठवी छे के जेना स्मरणद्वारा भव्यात्माओ अनेकविध उपद्रवोथी शांति मेळवी शके छे. एज | कारणथी तपागच्छना पूर्वाचार्योए पाक्षिकादिना पूर्व दिवसे तेमज विहारना दिवसे देवसिक प्रतिक्रमणमा स्तवनना स्थाने अने | पाक्षिकादिप्रतिक्रमणना अंतमा आ स्तोत्र कहेवानुं सामाचारीमा निश्चित कयुं छे. ___ आ सूरिराजनो विशेष इतिहास जाणवानी इच्छा धरावता वांचकोए मुंबई शेठ मोतीशाहना लालबाग उपाश्रयना संघ तरफथी प्रकाशित 'विद्यगोष्ठी'नी प्रस्तावना, तथा आ फंड तरफथी मुद्रित 'उपदेशरत्नाकर'नो उपोद्घात, तेमज जाणीता साक्षर इतिहासवेत्ता, श्रीयुत मोहनलाल दलीचंद देशाई, बी. ए., एल्. एल्. बी. लिखित 'जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास' आदि जोवां. x आ ग्रंथो अन्य संस्थामो तरफथी प्रकाशित थया के. * मा ग्रंथो अनुक्रमे प्रस्तुत फंड तथा भागमोदयसमिति तरफथी प्रकाशित यया के. RREARRESS ॥२४॥
SR No.600059
Book TitleAdhyatma Kalpadrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunisundarsuri, Ratnachandra Maharaj
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages324
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy