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चेइअ नाम पि हुन जुत्तमेअं जमागमेणुतं । निस्साकडाइ जिणचेइआई, लिंगीहि विजुआई ॥९॥ तित्तियमित्तं कुजा, ६ जित्तियमित्तं जलाइ भुंजिज्जा । अजियजलाहारगिही, पाणागारे समुच्चरइ ॥१०॥ उग्गय[ए]सूरे सूरुग्गमे अ भणि
अंमि नत्थि किर दोसो । एगजुगे जुगपवरा, दस पंच हवंति न हु एगो॥११॥ बत्तीसं देविंदा, चउसट्ठी नेअ हुंति जिण|पयडा । पूआ अट्ठविअप्पा, पाससुपासा न नव ति फणा ॥ १२॥ खीरधएहिं ण्हाणं, जिणपडिमाणं न काउ जुत्तमिणं । दवत्थओत्ति काउं, गिहीणमुचिआ जिणपइट्टा ॥१३॥ कत्तियमावासाए, पच्छिमरयणी वीरपडिमाए। कीरइ न्हाणं पूआ, वाइअ महनगीअंच ॥ १४ ॥ लउडारसो वि दिज्जइ, विहि-जिणभवणमि सावएहिं पि । सासणसुराणमंदो-लणं च तत्थेव जलकीलं ॥१५॥ माहे मालारोवण-मिह कीरंतं च साहए सिद्धिं । मालग्गहणे न्हाणे, जिणाण रयणीइ [ए] को दोसो ? ॥१६॥ न्हवणयरसिहाबंधो, मुद्दाकलसेसु वासखेवाइ । सूरी विणा पइद, कुणइ अ उस्सुत्तमाईअं॥१७॥ गिहिणोऽवि दिसाबंधो, कीरंतो धम्मसाहगो होइ । चेइवसहिनिवासीवि साहुवेसहिया पुजा ॥१८॥ जिणबिंबमणाययणं, न होइ निवसंति ते जहिं स मढो। सो सुविहियसाहहिं, परिहरिणिजो न य गिहीहिं ॥ १९॥ मेरुगिरिमि तिअसा हि-वेहिं जिणजम्मन्हाणमवि किरियं । आरत्तिअमुत्तारिय, मंगलदीवं कयं नह ॥ २०॥ आरत्तिअमेगजिणि-दपडिमपुरओ कयं न निम्मल्लं । परिहाविजइ जेणं, वत्थेणं तमवि निम्मलं ॥ २१ ॥आरत्तियमुवरिजलं, भामिजद तह पयत्तओ पूअं । तंमि अ जमुत्तरंते, तदुवरि कुसुमंजलिक्खेवो ॥ २२॥ आरत्तियं धरिजइ, जयंतराले वि उत्तरंतं तु । कीरइ नर्स्ट गी, वाइअमुअगीअ नदृ च ॥२३॥ जिणपुरोऽवि फलक्खय-पमुहं जं ढोइअं तु पूअट्ठा। तमवि न कप्पइ
सामा०२४
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