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________________ SASASARARANAMA बारसदिवसे पत्ते नाममिखापुत्तत्ति से दिन्नं । जजह जषियं दुका तहेव नणुतं जयो कुडा॥१६॥ बत कलाहिं ससिब पियदसणो स संजा। पायं नरा सपुता सखहियातीह सबेहिं ॥१७॥ पिबाजाश्मयदोसदूसिया तप्पिया य जा पुवं । संजाया नमवसे पुत्ती सोहग्गरूविता ॥१०॥ संपत्ते तारुक्षे तरुणजणविमोहणे गुणावासे । सा तह तहेव नच्च जह रुञ्चइ सयललोयाणं ॥१५॥ नचंती गायंती अन्नया सरयमाससमयम्मि । दिन सिन्सुिएवं नमी गुणाणं कुझी सा य ॥२०॥ अणुवमरूवसिरीए तीए दिन सिन्तिणु सो। तह मोहिउँ जहा सो न दिमिग्गाल सर॥२१॥ विनाणचरिमाए सुचंगिमाए तदंगरूवस्स । अरंजिट जि सो मारेण दढप्पहारेहिं ॥२॥ रोगो सुविप्पडंगो सूयपिसायग्गहो सुनिग्गहळे । सबेहिंतोपि इह सुझा मयणजम्मा ॥२३॥ पिड अडीहिं जहा जहा महामोहमयणसंजणणिं । तह तह तित्तिं न वह नीरेण महातिसालुव ॥२४॥ अन्नं पाणं न्हाणं गाणं दाणं तहेव सम्माणं । विम्हरियं तस्स मणे तज्काणं धर पुण एगं ॥२५॥ विस्समसेसं पस्सइ तम्मयमेवेस रागरत्तमणो । न बह रई मणागं निजाखदेसम्मि जह मीणो॥२६॥ मुका कुखमलाया जाया खडा सुदूरमेयस्स । वम्महवाही बुद्धिं गउँ हुयासुब वणगहणे ॥२७॥ नो विवेगदीवो जीवो जेणेस पावतमपूरे। निवम नहु धरणियखे रयणीए वा विदेसम्मि ॥२०॥ तचोस श्वापुचो तत्वो कामग्गिया सदग्गेण चंदणरसोवखेवोवमं पश्नं श्ममकासी॥२॥ 191 Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600046
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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