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________________ उपदेश --00 सप्ततिका. MAMAC++ - 6 थविराणं थविराएं नाणाश्गुणाण सो य पासम्मि । अंगीकरेइ दिरकं सिरकं पुण सहइ सुत्तस्स ॥३॥ तब्जारियावि तन्नेहलारिया सारिया व महुरफुणी । जश्णी पायमूखे जाया जणी गुणुजाणी ॥४॥ जह जह तम्मुहकमलं (कमलं) व पखोयए स रागवसा । अणुसरि(हवि)याई पुर्व तह तह सो सर सुरयाई ॥५॥ सा साहुखीण मज्जे चिन्तीवि दु सकनिघासु । करचरणे परकाल टालश् मलमंगसंलग्गं ॥६॥ उज्जन जाश्मयं तनाया साहुणी खु सपमाया । तमबालोश्य उकयं ते दोऽवि य मरणसमयम्मि ॥७॥ श्रणसणमणुपाखित्ता वेमाषियनिकरत्तमावन्ना। तत्तो चवित्तु इत्येव पसिछे जारहे वासे ॥७॥ नयरम्मि इखावशणनामे अजिरामसीखारामे । धणकोमीहिं पगन्जो इन्नो नामेण वरसिनी ॥ ए॥ गुणधारिणी सुरूवा दश्या तस्सस्थि धारिणी नाम | ताणं पुष नस्थि सु सुईब जो वंसवणसमे ॥१०॥ तत्व श्खादेवी नाम सुरी सप्पनावपन्जारा । सपमोया पुरखोया तं बहुमन्नंति अचंति ॥ ११ ॥ इन्नेह सिमिणा श्रह नंदपसंपतिमीहमाषण । माषण वजिएणं एवं उवजाश्यं तीए॥१॥ जइ मह होही पुत्तो तोऽहं सकतत्तय जत्ताए। बागम्म मणनिरामं तुह नाममिमस्स गविस्सं ॥१३॥ सो माहबमुणिजीवो इत्तो तप्पणश्णीए कुछीए । पुत्तत्तेणुप्पलो धन्नो पुन्नोदयस्स वसा ॥ १५ ॥ वह तत्व सो पसूट पसत्यवेखाश्मम्महेखाए । विहियं वचावण्यं तलाम्मे सिष्णिा गरुकं ॥ १५॥ १ प्रशखावामनया महेलया. 190 + %A4%95%A5%2525- 2 + Jain Education Inter For Private & Personal use only Diww.jainelibrary.org
SR No.600046
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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