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________________ *ॐ * -*- एरिसपमायठाणा जेसु कहं ते इवति नणु समक्षा । जहमुह जूणतुमा एए उकायनिम्महणा ॥ ६॥ श्रहवा एएहिंतो नूपोऽविदु सग्गुणो न जस्सस्थि । सुहुमोवि नियमजंगो एए पुण सबहा बज्का ॥ ३ ॥ कत्तबेहिं इमेहिं दिहिं नियमई सुदिछीए । सरमाणो जिणवयणं को एसिं वंदणं कुब्जा ॥६॥ अन्नं च संगमो नणु श्मेसिमम्हाण विप्पसाहे। सावयधम्मरयाणवि सिदिखत्तं चरणकरणेसु ॥६५॥ श्राहिमामो जेणं जवामवीए अववियमाए । इय अणुसिकोऽविनायखेण विविहाहिं जुत्तीहिं॥६६॥ सुमई पलवेश् श्म गंतबमवस्समम्हमेएहिं । गहियवा पवजा निरवडा तह मए एत्य ॥ ६॥ तुममुसवेसि जं पुण तं कार्ड कोऽवि किर न सके । ता मुयसु मह करं तुह न बलकारो करेयबो ॥ ६ ॥ एए वयंति दूरं मह गंतवं श्मेहि खलु सहिं । तो नायखेण जणियं न गठमाणस्स तुह जदं ॥ ६ ॥ श्रयं पुण हियमहियं कहेमि तुह जं हियं तमायरसु । पुरकाकरोमि नाहं को कस्स करिज किर बयणं ॥३०॥ न पिड तस्संगा विविहोवाएहिं वारिऽवि दु सो। चंदणमुकिय कुहियं पयाइ नणु मचिया वाणं ॥१॥ गोयम स मंदलग्गो पब साहुपासपासम्मि । खग्गा य पंचमासा वच्चंताएं पहे ताणं ॥ १२॥ श्रह अन्नया वालसवन्तरि श्राग य मुब्जिरको । जिस्कायरावि निरकं न तत्थ पाबंति मणयपि ॥ ३ ॥ अपमिकताखोश्यपावा मुक्काबदोस मरिलं । विमणा नणु ते समणा श्रमणा जिणधम्मसेवाए ॥ ४ ॥ १ साधुपाशपार्थे. 164 424x48-%%** * 4 L For Private & Personal Use Only ___JainEducation.in aw.jainelibrary.org
SR No.600046
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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