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________________ उपदेश ॥ ६४ ॥ Jain Education Inte सी तत्व निवासी जासी महुरस्कराण वयथाह । सुपयकंचावसू वसू सुविस्कायसिरिसेडी ॥ ४ ॥ जाया तस्स सविषया सेखो सिद्धो य नाम तया । धम्मम्मि साहिलासा सपिवासा परुवयारम्मि ॥ ५ ॥ तत्यन्नया कयाऽवि हु संपत्ता सीबचंदसूरिंदा । नुवणम्मि नणु दिबिंदा इव जे जबंबुरुहबोहे ॥ ६ ॥ परिवन्नो तप्पासे पासे मोहस्स निंदिऊण बहुं । सेणो सुषित्तु धम्मं दिरकं कम्मारिपरिवरकं ॥ ७ ॥ बुढवयजणयजणणी पालणपणो गिम्मि निवसे । सिद्धो सुविसुमई अईव इय चिंतिचं लग्गो ॥ ८ ॥ कश्या उज्जियगिवासपासमुम्मूलिकण विसयाणं । गिरिहस्तमहं संजममसंजमं दूरमुज्छंतो ॥ ५ ॥ परिचत्तमित्तसंगो गोवंगाई गोविऊण दढं । कुम्मुब सुहज्जणुबास जलमज्जम्मि चिस्सिं ॥ १० ॥ कश्याऽहं सुगुरूणं नूणं विषयं समाइरिस्सामि । पयपंकय॒त्नमरतु सेवारसि घरंतो य ॥ ११ ॥ कश्या सुगुरूहिं समं रमंतर संजमम्मि आरामे । नाणाविदेसेसुं श्रप्पम्बियो चरिस्सामि १ ॥ १२ ॥ कश्या घरवावारं दुधारं वारिजण नीसेसं । निस्सेयसपुरमग्गं परिवबिस्सामि निरव ॥ १३ ॥ हो दीहो सो कोऽवि कोविट कहिं गिरा । उवसमरसनिम्मग्गो रोसकसावं चस्सामि ॥ १४ ॥ कावहालाई महानिदालाई पुन्नरयणाएं । कश्या गोवंगाइसुत्तमयं पढिस्सामि ॥ १५ ॥ कश्याहमप्पदेहे निरीहजावं धरित्तु धीरमणो। उवसग्गवग्गमसद् सहिस्समुछामावन्नो ॥ १६ ॥ समई पंच तहा गुचीच तिनि मद्दए पंच। सीबंगाणकारससहसाइँ कया वहिस्सामि ॥ १७ ॥ 128 For Private & Personal Use Only सप्ततिका. ॥ ६४ ॥ jainelibrary.org
SR No.600046
Book TitleUpdeshsaptatika
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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