________________
तस्सच्चनच्चएकखाकोसझमणन्नतुझमिरिकत्ता । जाउँ रंजियखोयणमणो जणो जिणहरे सयखो ॥ १३६ ॥ तत्तो जिपजत्तोवागयाण लोयाण मगचमकारं । जयंती नच्चं सच्चवेश तिहिं मयणमंजरिया ॥ १३७ ॥ . तीएवि तहा विहिट खो चित्तम्मि विलसिरपमोउ । जह तप्पुर अमरीन किंकरीब स गणेश ॥ १३०॥ नच्चित्ता जियपुर पिउपासं मयणमंजरी पत्ता । तेणवि(य) सिणेहिललोयणेहि दिन य पुष य ॥ १३ए॥ जण्याएंदणि नंदिणि जणसु तुम अप्पणो चरियमखिलं । तो तीइ नियसरूवं सबमवि य साहियं पिजणो ॥१४॥ मग्गेहे तुह सरिसा कन्ना का अस्थि तुज्क नामेण । समए समए नवनववेसधरा नणु नमिव स्थि ॥ १४१॥ सा का कहसु ममग्गे जह जवई सच्च मयणमंजरिया। तीए वुत्तं नाहं मुणामि तबिलसियसरूवं ॥ १५॥ धुत्ता सत्ताणेगे धरंति रूवाई विविहरूवाई। कूमकवमाण तेसिं को पारं जाय धीमपि ॥ १४३ ॥ खंतवं ताय तए महिकऽबिलसियं महाराय । जमणापुछिय पियरो थप्पा परणार्च य मए ॥१४॥ रन्ना नणियं नंदिणि सुखकर्य समयमप्पणो मुणिलं । सो संपइ तुज्क पई कत्य गर्ड दिवरूवमर्च ॥ १४॥ तत्तो तीए दिछो साहावियरूवधार जत्ता । तपाससमासीहा हिला तह रयणमेह खिया ॥ १४६॥ जाणावि य जण ताय श्मं पस्स पुत्तिनत्तारं । तो तेणाहू सो समाग सविहमेयस्स ॥ १४ ॥ तेणुत्तमहो नणु रयणचंद कत्तो नवं तमाह श्मो । परितो परिब्जमतो सुवेखसेखस्स कक्रवसा ॥ १४०॥ जिपजवएमागउँऽई श वुत्ते सुहितुरेण । सिरिहेमचंदराएगाणी नियपुरं कुमरो ॥१४॥
115
ACACALLIKARAN
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org