SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीआवश्यक मलय० वृत्ती उपोद्घाते ॥३९७॥ MEXICLE लजितो तं वहद, मग्गतो मम सुण्हाई पेच्छंति, एवं तेण उवसग्गो उद्वितोत्तिकाऊण चूई, पच्छा आगतो तहेव, ताहे। आर्यरक्षिआयरिया भणंति-किं खंता! इमं ?, सो भणइ-उवसग्गो उहितो, आयरिया भणंति-आणेह साडयं, ताहे भणइ-किंथ तवृत्त वृद्धसाडएणं, दि8 जं दट्टचं, चोलपट्टगो चेव हवउ, एवं ता सो चोलपट्टयं गेण्हाविओ, पच्छा भिक्खं न हिंडइ, आयरिया यादि चिंतंति-एस भिक्खं न हिंडइ, को जाणइ कयाइ किंची भवइ ?, तत्थ एक्कल्लओ किं काहिह, अवि एसो निजरंद पावेयचो, तो तहा कीरउ जहा एस भिक्खं हिंडइ, एगं आयवेयावच्चं पच्छा परवेयावञ्चंपि काहिइ, एवं चिंतित्ता तत्तोऽणेण सबे साहुणो अप्पसागारियं भणिया-अहं वच्चामि, तुझे एकल्लया समुद्दिसेज्जाह पुरतो खंतस्स, तेहिं पडि-17 स्सुयं, ततो खंतस्स पुरतो आयरिया भणंति-तुबमें खंतस्स सम्म वडेजह, अहं वच्चामि गाम, एवं गया आयरिया,द। तेऽवि साहुणो भिक्खं हिंडिऊण सबे एक्कल्लया समुद्दिसंति, सो चिंतेइ-ममेस दाहिइ, इमो दाहिइ, एकोऽवि तस्स न देइ, अण्णो दाहिइ एस वराओ किं लभइ १, एवं तस्स न केणइ किंचि दिन्नं, ताहे आसुरुत्तो न किंचि आलवति, चिंतेइएउ कल्लं ताव मम पुत्तो तो पेक्खह एए जं पावेमि, ताहे विइयदिवसे आगया आयरिया, ताहे ते भणंति-खंता! किह ते साहहिं बट्टियं , ताहे सो भणइ-पुत्ता! जइ तुमं न होतो तो एकंपि दिवसं न जीवतो, एएवि जे अण्णे मम पुत्ता ननुगा य तेऽवि न किंचि देंति, ताहे ते आयरिएण समक्खं अंबाडिया, तेऽवि अब्भुवगया, ताहे आयरिया ॥३९७॥ भणति-आणेह भायणाणि, जह अप्पणो खंतस्स पारणयं आणेमि, ताहे सो खंतो भणइ-किं इह मम पुत्तो हिंडिहिइ?, लोगप्पणासे न कयाइ हिंडियपुबो, भणइ-अहं चेवे हिंडामि, ताहे सो अप्पणा खंतो निग्गतो, सो य पुण लद्धिसं IDE Jain Education Inter For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600044
Book TitleAvashyakasutram Part_2
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy