SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीआव श्यक मल य० वृत्ती उपोद्घाते ॥ ३९६ ॥ Jain Education Intern चिंतेइ - किह जीवामो १, न पाडिएकमत्थि, ताहे तम्मि दिवसे सयसहस्सेण भत्तं निष्फाइयं, चिंतेइ य- अम्हेहिं सङ्घकालमेत्थ उज्जयं जीवियं, मा इयाणिं एत्थ चेत्र देहवलियाए वित्तिं कप्पेमो, देहवलिका नाम भिक्षावृत्तिः, नत्थि य पाडिक्कतो, एत्थ | सय सहस्स निष्पन्ने बिसं छोटूण जेमेमो तो सनमोक्काराणि कालं करेमो, तं च सज्जियं, न ताव विसेण संजोइज्जइ, सो य साहू हिंडिंतो तत्थ संपत्तो, ताहे सा हट्टतुट्ठा संपडिलाइ तेण परमन्नेणं, तं चेत्र परमङ्कं साहेइ, सो साहू भणइ - मा भत्तं पञ्चाक्खाह, अहं वइरसामिणा भणितो - जया तुमं सयसहस्सनिप्फण्णं भिकूखं लभि हिसि (तया पर सुभिक्खं) ततो पोएण सुभिक्वं भविरसइ, ताहे पवइस्सह, एवं सा वारिया, इतो य तद्दिवसं चैव पवहणेहिं तंदुला आगया, जातो पाडिक्कतो, सो साहू तत्थेव ठितो, सुभिक्खं जायं, ताणि सावयाणि तस्संतिए पवइयाणि, ततो वइरसामिस्स पउप्पयं जायं, वंसो य पवड्ढितो । इतोय अजरक्खिएहिं दसपुरं गंतूण सवो सयणवग्गो पचावितो मायाभगिणीमाई, जो सो तस्स खंतो सोवि तेसिं अणुरागेण तेहिं चेव समं अच्छइ, न उण लिंग गेण्हइ लजाए, किह समणतो पवइस्सं १, एत्थ मम धूयातो सुहाओ नत्तुइओ य, किह तासिं पुरतो नग्गतो अच्छिस्सं १, आयरिया य तं बहुसो भणंति - पवयसु, सो भणइ - जइ समं जुवलएणं कुंडियाए छत्तएण उवाहणाहिं जंनोवइएण तो पचयामि, आमंति पडिस्सुयं, पचाइतो, सो करणसज्झायमणुय चंतेहिं गेण्हावियचो, ताहे ते भजंति -अच्छह कडिप्पट्टएणं, सोऽवि थेरो भणइ -छत्तएण विणा न तरामि, ताहे भणति -अच्छउ छत्तयंपि, करगेण विणा दुक्खं उच्चारपासवणं वोसिरिजं, बंभसुत्तगंपि, अवसेसं सबं परिहरइ, अन्नया चेइयवंदगा गया, आयरिएहिं पुवं चेडरूवाणि गाहियाणि, भणह-सवे वंदामो एवं छत्तइलं मोत्तुं, एवं पुण चरण For Private & Personal Use Only वज्रस्वा मिस्वर्गः इ न्द्रचन्द्रादिदीक्षा ॥ ३९६ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600044
Book TitleAvashyakasutram Part_2
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy