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________________ AGARALACESAX सत्वेऽवि गया मुक्खं जाइ-जरा-मरणबंधणविमुक्का । तित्थयरा भगवंतो सासयसुक्खं निरावाहं ॥ ३८९॥ । निगदसिद्धा ॥ एवं तावत् तीर्थकरानकीकृत्य प्रतिद्वारगाथा व्याख्याता, इदानी चक्रवर्तिनोऽङ्गीकृत्य व्याख्यायते, एतेषामपि पूर्वभववक्तव्यतानिवद्धं च्यवनादि प्रथमानुयोगादवसेयम् , साम्प्रतं चक्रवर्तिवर्णप्रमाणप्रतिपादनायाह सोऽवि एगवन्ना निम्मलकणगप्पभा मुणेअथा। छक्खंडभरहसामी तेसि पमाणं अओ पुच्छं ॥ ३९१ ॥ पंचसय अद्धपंचम बायालीसा य अधणुअंच । इगुआलधणुस्सद्धं च चउत्थे पंचमे सत्त ॥ ३९२॥ पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य वीसइ घणि । पन्नरस बारसेव य अपच्छिमो सत्त य धणूणि ॥३९३॥ निगदसिद्धाः॥ नामानि प्राक् प्रतिपादितान्येव, साम्प्रतं चक्रवर्तिगोत्रप्रतिपादनायाह-- कासवगुत्ता सवे चउदसरयणाहिवा समक्खाया। देविंदवदिएहिं जिणेहिं जिअरागदोसेहिं ॥ ३९४ ॥ सूत्रसिद्धा ॥ साम्प्रतं चक्रवर्त्यायुष्कप्रतिपादनायाहचउरासीई बावत्तरी अ पुराण सयसहस्साई। पंच य तिन्नि य एगं च सयसहस्सा उ वासाणं ॥ ३९५ ॥ पंचाणउइ सहस्सा चउरासीई अ अट्ठमे सट्ठी। तीसा य दस य तिन्निय अपच्छिमे सत्त वाससया ॥३९६॥ गाथाद्वयं पठितसिद्धम् ॥ इदानी चक्रवर्चिनां पुरप्रतिपादनायाहजम्मण विणी उज्झा सावत्थी पंच हथिणपुरम्मि । वाराणसि कंपिल्ले रायगिहे चेव कंपिल्ले ॥ ३९७ ॥ निगदसिद्धा एव । साम्प्रतं चक्रवर्तिगातृप्रतिपादनायाह %A4%ACACAKAARAK Jain Education Inter For Private & Personal use only w.jainelibrary.org
SR No.600043
Book TitleAvashyakasutram Part_1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size14 MB
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