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________________ -46-पर पुपोदात नियुक्तिः अणवयाणि, परिपालयंती चउत्थछट्टमेहिं खमामि, एवं काले गते कयभत्तपञ्चक्खाणा रातो देवं परमर्दसणीयं श्रेयांसपूर्वपस्सामि, सो भणइ-निन्नामिगे चिंतेहि होमि एयस्स भारियत्ति ततो मे देवी भविस्ससि, मया सह दिवे भोगे अँजेसि, द भवेषु निएवं वोत्तण अइंसणं गतो, अहमवि परितोसविसप्पमाणहियया देवदंसणेण लभिज देवत्तंति चिंतेऊण समाहीए काल- र्नामिकागया, ईसाणे कप्पे सिरिप्पभविमाणे ललियंगस्स देवस्स अग्गमहिसी सयंपभा नाम जाया ओहिणाणोवयोगविण्णाय स्वयंप्रमादेवभवकारणा, जहा-एस ललियंगो अहुणोववन्नो समाणो नियपरियणं परिभाविन्तो देवीसु मज्झे सयंपभाए देवीए भवौ अज्झोववन्नो, सा आउक्खए चुया, ततो देवो पलविउमाढत्तो, सयंबुद्धो य महाबले कालगए गहियसामण्णो चिरकालं संजमं परिपालिऊण समाहिपत्तो कालगतो इहेव ईसाणे कप्पे इंदसामाणितो जातो, तेण विलवंतो संवोहितो, भणितोय-जहा धायइसंडे दीवे अवरविदेहे नंदिग्गामे निन्नामिगा कयभत्तपञ्चक्खाणा चिइ,तं नियदंसणेण पलोभेहि जेण यनियाणा ते अग्गमहिसी सयंपभा जायइ,ततो अणेण नियदंसणेण पलोभिया कयनियाणा इहमागयत्ति, सहरिसं सह ललियंगएण अच्छामि, अन्नया य सवसंपत्तीए कारणं भगवंतो जुगंधरायरियत्ति मुणिऊण ते वंदिउमवइन्ना, ते तंसमयं तहेवा * अंबरतिलके पबए मणोरमे उजाणे सगणा समोसरिआ, ततोऽहं परितोसविसप्पियमुही तिगुणपयाहिणपुर्व नमिऊग ॥२२३n निवेइ नाम, नट्टोवहारेण महिऊण गया सविमाणं, दिखे कामभोगे ललियंगएण सहिया निरुस्सुका बहुकालं अणुहवामि, देवो य सो ललियंगतो आउक्खएण चुतो, अम्मो न याणामि कत्थ गतो, अहमवि तस्स वियोगदुहिया चुता समाणी इहमागया, देवुज्जोयदरिसणेण समुप्पन्नजाइसरणा तं देवं मणसा परिवहंती मूअत्तणं पवन्ना, किं तेण विणा. कपण Jain Education inta For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600043
Book TitleAvashyakasutram Part_1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Malaygiri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size14 MB
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