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उपोद्रात- गसमगपडप्पधाइयरवेणं संखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुइंगदुंदुभिनिग्घोसनाइयरवेणं महया २ तित्थयराभिसेएणं| अच्युतानियुक्तिः अमिसिंचंति, तए णं सामिस्स भगवतो आदितित्थयरस्स अभिसेयंसि वट्टमाणंसि सबे इंदा छत्तचामरकलसधूवकडुच्छु- दिकृतोयपुप्फगंधमल्लालंकारहत्थगया हतुदृचित्तमाणंदिया जाव हरिसवसविसप्पमाणहियया वजसूलपाणी पुरतो चिटुंति,
भिषेकः १८७॥
४ अन्ने य देवा देवीतो य कलसहत्थगया भिंगारहत्यगया चामरहत्थगया जाव मल्लालंकारहत्थगया पंजलिउडा य पुरतो चिटुंति, अप्पेगइया देवा आसियसम्मजियोवलितं सम्मट्ठरत्यंतरावणवीहियं करेंति, अप्पेगइया देवा मंचातिमंचकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा नानाविहरागऊसियज्झयपडागमंडियं करेंति, अप्पेगइया गोसीससरसचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितलं करेंति, अप्पेगइया उवचियचंदणकलसं करेंति, अप्पेगइया चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति, अप्पेगइया | आसत्तोसत्तविउलवट्टवरपारियमलदामकलावं करेंति, अप्पेगइया पंचवण्णसरससुरभिमुकपुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, | अप्पेगइया कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुकधूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पेगइया [हिरण्णवार्स वासेंति, अप्पेगइया सुवण्णवासं वासेंति, अप्पेगइया रयणवासं वासेंति, अप्पेगइया वइरवासं वासंति, अप्पेगइया आभरणवासं वासंति, अप्पेगइया पत्तवासं वासंति, अप्पेगइया पुष्फवासं वासंति, अप्पेगइया फलवासं वासेंति, अप्पेगइया वण्णवासं वासेंति, अप्पेगइया चुण्णवासं वासेंति, अप्पेगइया गंधवासं वासेंति, अप्पेगइया हिरण्णविहिं भायंति
IC१८७॥ दूजाव अप्पेगइया गंधविहिं भायंति, अप्पेगइया वत्थविहिं भायंति, अप्पेगइया दुयं नट्टविहिं उवदंसंति, अप्पेगइया ||
विलंबिर्य नविधि उवदसंति, अप्पेगइया दुयविलंबियं नविधि उवदसति, अप्पेगइया अंचियन विधि उवदंसंति, अप्पे-IC.
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