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________________ आत्मप्रबोधग्रन्थे ॥३३॥ वर्णनं-तासि णं जिणपडिमाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते तं जहा-तवणिजमया हत्थतलपादतला, अंकामयाई नखाई, अंतो लोहिअक्खपडिसेकाई, कणगामईओ जंघाओ, कणगामया जाणू, कणगमया ऊरू, कण- प्रथमः गामईओ गायलट्ठीओ. तवणिजमया चुच्चुआ, तवणिजमयाओ नाभीओ, रिट्ठामइओ रोमराईओ, तवणिजमया प्रकाशे सिरिवच्छा, सिलप्पवालमया ओठा, फालिहमया दंता, तवणिजमईओ जीहाओ, तवणिजमया तालुआ, कण सम्यक्त्व |गममईओ नासिगाओ अंतोलोहिअक्खपडिसेगाओ, अंकामयाणि अच्छीणि, अंतोलोहिअक्खपडिसेगाई, रिट्ठामईओ ताराओ, रिठ्ठामयाणि अच्छिपत्ताणि, रिटामईओ भमुहाओ, कणगामया सवणा, कणगामईओ णिला-2 डपट्टियाओ, वयरामईओ सीसघडीओ, तवणिज्जमईओ केसंतकेसभूमीओ रिठ्ठामया उवरिमुद्धया इति' : अथ तासां जिनप्रतिमानां परिकरवर्णनं, यथा-'तासि णं जिणपडिमाणं पिछओ पत्तेयं पत्तेयं छत्तधारप. | डिमाओ हिमरययकुंदिदुप्पगासाई सकोरिंटमल्लदामाइं धवलाई आयवत्ताई सलीलं धारेमाणीओ चिट्ठति । तासि । णं जिणपडिमाणं उभओ पासे पत्तेयं पत्तेयं चामरधारपडिमाओ पन्नत्ताओ चंदप्पभवहरवेरुलियनाणामणिरय-150 णखचियचित्तदंडाओ सुहमरययदीहवालाओसंखंककुंददगरययअमयमहियफेणपुंजसंनिगासाओ चामराओ ग-1 हाय सलील वीइमाणीओ धीइमाणीओ चिट्ठति । तासि णं जिणपडिमाणं पुरओ दो दो नागपडिमाओ भूअप-10 डिमाओ जिणजक्खपडिमाओ कुंडधारपडिमाओ सन्निखित्ताओ चिट्ठति, ताओ ण सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तत्थ ण तासि णं जिणंपडिमाणं पुरओ असयं घंटाणं, अट्ठसयं भिगाराणं, एवं आयसाणं Jain Education Inter For Private & Personal use only Asww.jainelibrary.org
SR No.600042
Book TitleAtmaprabodh
Original Sutra AuthorJinlabhsuri, Buddhisagar
Author
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size20 MB
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