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________________ साधुसाध्वी Y*XXXX********* २-जा कालकर जाय तो जब तक दूसरे राजाका अभिषेक न होवे तब तक तथा दूसरे राजाका || आवश्यअभिषेक होजाने परभी जब तक लोकोंमें शोक रहे तब तक असज्झाय। कीय विचार । ३- 'यहांका राजा अन्य देशमें काल करगया' ऐसे समाचार जिस दिन सुननेमें आवे उस संग्रहः दिन से १ अहोरात्रिका असल्झाय । ४- जो गाम या शहरमें मुखिया हो अथवा जो राजका मुख्य अधिकारी हो । इनमें से किसी का मृत्यु होवे तो ८ पहोर असल्झाय । । ५- जो बहुत कुटुम्बवाला हो जो सिज्जातर ( जिसमें साधु उतरे उस मकान ) का स्वामी हो, इनमें से किसीकी मृत्यु होवे तथा उपासरेके आस पास सात (७) घर तकमें किसी प्रसिद्ध स्त्री या । पुरुषका मृत्यु होवे तो १ अहोरात्रिका असल्झाय । ६- उपासरेके आस पास सो सो हाथमें अनाथ (लावारिश मनुष्यका मृतक मुरदा जब तक In १.१॥ पडा रहे तब तक असल्झाय, उठाये बाद नहीं । ___JainEducation inte 2 010_05 For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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