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तारिए कट्ठे संकामिज्जइ, उद्देहियाहिं गहिए पोते णत्थि तस्स विगिंचणया, ताहे तेसिंवि लोढाइज्ज, तत्थ अति लोए, छप्पइयाउ विसामिज्जति सत्तदिवसे, कारणगमणं ताहे सीयलए निवायाए, एवमाईणं तहेव आगरे निवाघाए विवेगो, कीडयाहिं संसते पाणए जइ जीवंति खिप्पं गलिजह, अहे पडिया लेवाडेणेत्र हत्थेण उद्धरेयवा, अलेवडयं चैव पाणयं होइ, एवं मक्खियावि, संघाडण पुण एगो भत्तं गेण्हह मा चैव छुब्भइ, वीयो पाणयं, हत्थो अलेवाडओ चेव, जहवि कीडियाउ मह - याउ तहवि गलिअंति, इहरहा मेहं उवहणंति मच्छियाहिं चमी हवइ, जइ तंदुलोयगमाइसु पूयरओ ताहे पगासे भायणे छुहित्ता पोत्तेण दद्दरओ कीरह, ताहे कोसएणं खोरएण वा उक्कड्डिअर, थोवएण पाणएण समं विगिंचिज्जइ, आउकायं गमित्ता कट्टेण गहाय उदयस्स ढोइजइ, ताहे अप्पणा चैव तत्थ पडइ, एवमाइ तेइंदियाणं, पूयलिया कीडियाहिं संसत्तिया होजा, सुकओ वा कूरो, ताहे झुसिरे विक्खिरिजइ, तहेव तत्थ ताओ पविसंति, मुहुत्तयं च रक्खिजड़ जाव विप्पसरियाओ । चउरिंदियाणं आसमक्खिया अक्खिम्मि अक्खरा उकडिजइत्ति घेप्पइ, परहत्थे भत्ते पाणए वा जइ मच्छिया तं अणेसणिजं, संजयहत्थे उद्धरिज, नेहे पडिया छारेण गुंडिजर, कोत्थलगारिया वा वच्छत्थे पाए वा घरं करेजा सव्वविवेगो, असइ छिंदित्ता, अह अन्नंमिय घर संकामिजंति, संथारए मंकुणाणं पुञ्चगहिए तहेव घेप्पमाणे पायपुंछणे वा, जइ तिनि वेलाउ पडिले - हितो दिवसे २ संसइ ताहे तारिसएहिं चैव कट्ठेहिं संका मिजंति, दंडए एवं चैव, भमरस्सवि तहेव विवेगो, सअंडए सकट्ठो विवेगो, तरयस्स पुवभणिओ विवेगो, एवमाइ जहासंभवं विभासा कायदा ]' पश्चि
पंचिदिएहि जा सा सा दुबिहा होइ आणुपुब्वीए । मणुएहिं च सुविहिया, नायव्वा नोयमणुएहिं ॥ ५२ ॥
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