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आवश्यक नियुक्तिदीपिका ॥
पर्यायद्वारम् ॥
॥६९॥
एमेव अरजिणिंदस्स, चउसुवि ठाणेसु हुंति पत्ते। इगवीस सहस्साई,वासाणं हुंति णायव्वा॥२९॥ मल्लिस्सवि वाससयं, गिहवासे सेसअंतु परिआओ।चउपण्ण सहस्साई, नव चेव सयाइ पुण्णाइं॥२९५/अद्धटुमा सहस्सा, कुमारवासो उ सुव्वयजिणस्स। तावइ परिआओ, पण्णरससहस्स रजमि ॥२९६// नमिणो कुमारवासो, वाससहस्साइ दुण्णि अद्धं च। तावइअंपरिआओ, पंचसहस्साइं रजमि ॥२९७॥ __ अर्द्ध सहस्राधं ॥ २९३-२९७ ॥ ' तिण्णे' तिण्णेव य वाससया, कुमारवासो अरिट्ठनमिस्स। सत्त य वाससयाई, सामण्णे होइ परिआओ ॥२९॥ ___ 'सामण्णे' श्रामण्ये, पर्यायः सम्बन्धः ।। २९८ ।। 'पास' पासस्स कुमारत्तं, तीसं परिआओ सत्तरी होइ। तीसा य वद्धमाणे, बायालीसा उ परिआओ॥२९९॥ __पुनराद्यजिनाष्टकवतपर्यायगाथां प्रागुक्तामेवाग्रेतनगाथासम्बन्धनायाह ' उस' उसभस्स पुव्वलखं, पूव्वंगुणमजिअस्स तं चेव।चउरंगूणं लक्खं, पुणो पुणो जाव सुविहित्ति॥३०॥
प्राग्वत् ॥ ३०० ॥ 'सेसा' सेसाणं परिआओ, कुमारवासेण सहिअओ भणिओ। पत्तेअंपि अ पुव्वं, सीसाणमणुग्गहटाए ॥३०१॥
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