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________________ पयोय द्वारम् ।। तावानेवेति पञ्चविंशतिपूर्वसहस्राणि पर्यायः, ५० पूर्वसह राज्ये ॥ २८६ ॥ ' वासा' वासाण कुमारत्तं, इगवीसं लक्ख हुंति सिज्जंसे । तावइअं परिआओ, बायालीसं च रजंमि ॥२८७॥ २१ ल० वर्ष०, ४२ ल० वर्ष० ॥ २८७ ॥ ' गिहि ' 'पण' ' अद्ध' गिहवासे अटारस, वासाणं सयसहस्स निअमेणं । चउपण्ण सयसहस्सा, परिआओ होइ वसुपुज्जे ॥ पण्णरस सयसहस्सा, कुमारवासो अतीसई रज्जे। पणरस सयसहस्सा, परिआओ होइ विमलस्स ॥ अट्ठमलक्खाई, वासाणमणंतई कुमारत्ते। तावइअं परिआओ, रजंमी हुंति पण्णरस ॥ २९० ॥ ___७ ल० ५० सह० वर्ष० अनन्तजितः अनन्तस्य, १५ ल० ॥ २८८-९० ॥ 'धम्म' N| धम्मस्स कुमारत्तं, वासाणड्डाइआई लक्खाई। तावइअं परिआओ, रज्जे पुण हुंति पंचेव ॥ २९१ ॥ ५ ल० वर्ष० राज्ये ।। २९१ ॥ ' सन्ति' संतिस्स कुमारत्तं, मंडलिअचक्किपरिआअ चउसुपि । पत्ते पत्तेअं, वाससहस्साइं पणवीसं ॥२९२॥ ___ कुमारत्व १ माण्डलिक २ चक्रित्व ३ पर्यायेषु ॥ २९२ ।। ' एमे' 'एमे' 'मल्लि' 'अद्ध' 'नमि' एमेव य कुंथुस्सवि, चउसुवि ठाणेसु हुंति पत्तेअं। तेवीससहस्साइं, वरिसाणट्ठमसया य ॥२९३॥ Jain Education Interna For Private & Personal use only |www.jainelibrary.org
SR No.600031
Book TitleAvashyakaniryuktidipika Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManekyashekharsuri
PublisherVijaydansuri Jain Granthmala Surat
Publication Year1939
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size22 MB
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