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________________ श्रीकल्प ॥४८॥ ३-सिंहस्वप्नफलम् ___ छाया-सिंहदर्शनेनासौ भुवनत्रये शूरो वीरो विक्रान्तो भविष्यति १, वादिवृन्दमानमर्दको भविष्यति २, रागद्वेषादिरिपूणां विजेता भविष्यति ३, त्रिभुबने एकच्छत्र शासनं करिष्यति ४ ॥१०३३॥ टीका–'सीहदंसणेणं' इत्यादि । सिंहदर्शनेन इदं फलं सूच्यते-यदसौ बालो भुवनत्रये शूरो वीरो विक्रान्तो भविष्यति । तथा वादिन्दमानमर्दकः-वादिनां यद् वृन्द समूहः, तस्य मानमर्दकः अहङ्कारविनाशको भविष्यति । तथा-रागद्वेषादिरिपूणां जीवात्मनां शाश्वतशत्रुभूतानां रागद्वेषादीनां विजेता भविष्यति । तथात्रिभुवने एकच्छत्रं शासनं करिष्यति-भुवनत्रयेऽप्यन्यतीथिकानां धर्मशासनमुन्मूल्य अप्रतिहतं स्वधर्मशासनं स्थापयिष्यतीति भावः ॥० ३३॥ ३-सिंहस्वप्नका फल मूल का अर्थ - “सीहदसणे" इत्यादि । सिंह देखने से वह (१) तीन लोक में शूर, वीर और पराक्रमी होगा। (२) वादियों के समूह के मान का मर्दक होगा। (३) राग-द्वेष आदि रिपुओंका विजेता होगा। (४) तीनों लोको पर एकच्छत्र शासनं करेगा ॥सू०३३।। टीका का अर्थ-'सीहदसणेणं' इत्यादि । सिंह का स्वप्न देखने का फल यह होगा कि वह बालक तीनों लोक में शूर, वीर और पराक्रमशाली होगा। वादियों के समुदाय के मान का मर्दक अर्थात् अहंकार का विनाशक होगा। राग-द्वेष आदि रिपुओं का अर्थात् जीवों के सदा के वैरी राग-द्वेष आदि विकारों का विजेता होगा। सिंहस्वामफळम्. ૩ સિંહના સ્વપ્નનું ફળ भूगना अर्थ-"सीहदसणेण" त्या सिनेवायी ते (१) मा शूर, पार भने ५२॥3भी थशे. (२) पाहीसाना समूना मानना नारा ४२नार थशे. (३) २।५ मा मनाना विजेता थशे. (४) as પર એક છત્ર શાસન કરશે (સૂ૦૩૩) रानो मथ-सीहदसणे' प्रत्यासिस्यानु मे भगशे ते मात्र मांशूर, वीर भने પરાક્રમી થશે. વાદીઓના સમુદાયના માનને મર્દક એટલે કે અહંકારને વિનાશક થશે. રાગ-દ્વષ આદિ દુશમનને–એટલે કે ઈવેના કામના કરતા રાગ-દેણ માહિ વિકારોનો વિજેતા થશે. ત્રણ લોક ઉપર અખંડ શાસન કરશે, એટલે ॥४८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.600023
Book TitleKalpasutram Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1958
Total Pages594
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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