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________________ श्रीकल्प कल्प मञ्जरी टीका प्रियं-दर्शकजनचित्ताडादकम्, दर्शनम् अवलोकनं यस्य तम्, यत एवं विशेषणविशिष्टमत एव सुरूपं सर्वातिशायिरूपलावण्यवन्तं, दारक-पुत्रं प्रजनयिष्यसि ||मू० ३०॥ मूलम्-तत्थ खलु एएमु चउद्दसमु महामुमिणेसु इक्किकस्य महासुमिणस्स इमे एयारूवे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ, तं जहा॥४७५॥ ___१-चउदंतदंतिसुमिणफलं चउदंत-दंति-दसणेणं अमू सूरो वीरो विकतो दंतेणं दंती नईकूलतरुमूलं विव पभूएण तवेण महंतअंतराय-कसाय-कुलं उम्मूलिस्सइ १, दंतेण दंती वयइतइं वित्र वई वीरो वरीयसा तवसा नरय-तिरिय-नरामर-गइ-भमण-संतई अंतिस्सइ २, महंत-प्पहाव-दाण-सील-तव-भाव-भेय-भिन्ने चउबिहे धम्मे चउरो दंते फुरंतधुज्जभावो रणंगणे परकममाणो वारणो विव बारसविहपरिसंगणे दंसिस्सइ ३, सुयचारित्तधम्मनिरूवणओ अगिलाणतणेण दिसादंतीविव चउद्दिसं सायत्तीकरिस्सइ ४ ॥मू० ३१॥ छाया-तत्र खलु एतेषु च र्दशसु महास्वप्नेषु एकैकस्य महास्वमस्य अयमेतद्रूपः फलत्तिविशेषो भविष्यति, तद्यथा १-चतुर्दन्तदन्तिस्वप्नफलम् चतुर्दन्तदन्तिदर्शनेन असौ शूरो वीरो विक्रान्तो दन्तेन दन्ती नदीकूलतरुमूलमिव प्रभूतेन तपसा वह मुरूप-सर्वोत्कृष्ट रूप-लावण्य से विभूषित होगा। ऐसे पुत्र को तुम जन्म दोगी ॥सू० ३०॥ स्वप्नों का विशेष फल मूल और टीका का अर्थ–'तत्थ खलु' इत्यादि। उन चौदह महास्वमों में से एक-एक महास्वप्न का यह फलविशेष होगा। वह इस प्रकारલાવશ્યથી વિભૂષિત થશે. એવા પુત્રને તમે જન્મ આપશે. (સૂ૦ ૩૦) સ્વપ્નનું વિશેષ ફળ भू भनाना अथ-"तत्थ बद्र" त्याहि.सेयौ भावनामांथी हरे भानु' मा विशेष grants भगये. ते ॥ प्रभार गजस्वम फलम. ॥४७५॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600023
Book TitleKalpasutram Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1958
Total Pages594
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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