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________________ भाल-मूसा बंधुर-बंध खरयर-न मुत्रे कल्पमञ्जरी टीका ललिय-लोहिय-दसण--वसणं जवाकुसुम-पलासा-लत्तग-रत्तकमल-दल-मिदुल-ललंत-लंब-लालिय-लोल-रसणं धगधगिति-जलंता-णलां-तराल-मूसा-लसंत-आवत्तायंता-मल-कणग-सगल-बत्तुल-विमल-चवला-विडंबि-नयणं किस कडि-तडं विसाल-थूल-सुंदरो-रुं मंसल-विसाल-बंधुर-खधं मिउलतम-मुलक्षण-मसिण-जडिल-केसर-निगर-करश्रीकल्प बिय-गीवं कुंडलियो-दंचिय-अकिंचि-अप्फालिय-विलोल-लंगूल-मंडलं खरयर-नहर-सिहरं सोम्मं सोम्मागारं लीला॥४०९|| ललाम-प्फालं अंबरतलाओ उच्छलंतं निय-मुद्द-कुहरमभिपडतं सीहं पासइ ॥१० १७॥ ३-सिंहस्वप्नः छाया-ततः पुनःसा सलिल-विन्दु-कुन्दे न्दु-तुषार-गोक्षीर-हार-दकरजा-पाण्डुरतरं रमणीय-स्थिर-मसूणतर-करतलं परिपुष्ट-सुश्लिष्ट-विशिष्ट-कुटिल-तीक्ष्ण-दंष्ट्रा-विडम्बित-मुखं विमल-कमल-कोमल-ललित-लोहित-दशनवसनं जपाकुसुम-पलाशा-लक्तक-रक्तकमलदल-मृदुल-लल-लम्ब-लालित-लोल-रसनं धगधगिति-ज्वलद-नलान्तराल ३-सिंह का स्वप्न मूल का अर्थ-'तओ पुण सा' इत्यादि । तत्पश्चात् त्रिशला देवीने तीसरे स्वप्न में सिंह को देखा। वह कैसा था ? सो उसका वर्णन करते हैं वह सिंह-जल की बूंद, कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिम (बर्फ), गाय के दूध, हार और पानी के छोटे बिन्दु से भी अधिक सफेद था। उसकी हथेलिया (पंजे) सुन्दर, दर्शनीय, स्थिर और खूब चीकनी थीं। उसका मुख बड़ी-बड़ी, आपसमें मिली हुई, उत्तम, टेढ़ी और तीखी दाढ़ों से युक्त था। उसके होठ विमल कमल के समान कोमल, कमनीय एवं लाल रंग के थे। उसकी जीभ जपाकुसुम के समान, पलाश के पुष्प के समान तथा महावर (अलता) के समान लाल, कमल के पत्र की तरह कोमल, लपलपाती हुई, लम्बी, लारदार और चंचल थी। -सिंहसन भूजन। मथ-'तओ पुण सा' त्याहि. त्या२मा. शिवाय, स्वप्नमा, नियतवतो? થઈ તે કહે છે કે, જળબિન્દુસમાન, કુન્દના ફૂલ જેવો અને ચન્દ્રમા, હિમ, ગાયના દૂધ સમાન ઉજળો હતો. તેના પંજા સુંદર, દર્શનીય, સ્થિર, અને ખૂબ “લાલપ’વાળાં હતાં. તેનું મે, ઉત્તમ દાઢી, જડબા અને દાથી યુકત હતું. તેના હોઠ કમળસમાન કમળ, અને લાલ રંગના હતાં. તેની જીભ કેશુડાના ફૂલ જેવી લાલJain Educational यूम, पाAY५ समान याजी, eauntainी, मने ती ती. तेना नेत्री, सोनीनी सानुपानी सिंहस्वप्न वर्णनम्. ॥४०॥
SR No.600023
Book TitleKalpasutram Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1958
Total Pages594
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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