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सुबद्ध-मांसल-पिच्छल-सुविभक्त-मञ्जला, घनाऽऽवतें-स्निग्ध-मनोहर-निशित-विशाल-शृङ्ग, शान्तं दान्तं समान-शोभमान-विमल-दन्तं सकल-गुण-समन्वितं हिम-शैल-सन्निभं वृषभं पश्यति ॥सू०१६॥
टीका-'तो पुण सा' इत्यादि । ततः गजस्वमदर्शनानन्तरं पुनः द्वितीयस्वप्ने सा-त्रिशला धवलश्रीकल्प
कमल-दल-कदम्बका-तिग-देहकान्ति-धवलानि-श्वेतानि यानि कमलदलानि-कमलपत्राणि तेषां यत्कदम्बक ॥४०॥ वृन्दम् तत् अतिगच्छति या सा धवलकमलदलकदम्बकातिगा-श्वेतकमलदलपुञ्जादप्यतिधवला, तादृशी देहकान्तिः
शरीरथुतिर्यस्य तं वृषभं पश्यतीति सम्बन्धः, पुनः कीदृशं वृषभमित्याह-रोई' इत्यादि । रोचिश्चयो-पहारैः स्वशरीर-समुद्भूत-प्रकाश-समूह-विस्तारणैः सर्वतः सर्वा दिशः समन्तात् परितः विकाशयन्तं प्रकाशयन्तं, पुनःप्रस्फुर-कान्ति-मांसल-विशाल-ककुदं-प्रस्फुरन्ती प्रकाशमाना कान्तिर्यस्य तादृशं मांसलं-पुष्टं विशालं महत् च ककुदंवृषभाङ्गविशेषो यस्य स तथा तम्, तथा-तनुतम-विशद-सुकुमार-लोम-मसूण-द्युति-तनुसे कोमलकान्ति वाले, निश्चल सटे हुए पुष्ट चिकने भली भाँति विभागों से युक्त तथा मनोहर अंगों वाले, सघन गोल चिकने सुन्दर तीखे और विशाल सोंगों वाले, शान्त, दान्त, एक सरीखे शोभायमान निर्मल दांतों से युक्त, समस्त गुणों से सम्पन्न तथा हिमालय पर्वत जैसे वृषभ को देखा ।।सू०१६॥
टीका का अर्थ-'तओ पुण सा' इत्यादि। हाथी को देखने के अनन्तर, दूसरे स्वप्न में, त्रिशला देवी ने, वृषभ देखा। वह श्वेत कमल की पांखडियों के समूह को भी मात करने वाली देहकान्ति से सम्पन्न था। वह अपने शरीर से उत्पन्न होने वाले प्रकाश के समूह को सब ओर फैला रहा था और उस से सभी दिशाएँ प्रकाशित हो रही थीं। अपनी दीप्ति को प्रकाशित करता हुआ पुष्ट और विशाल ककुद से युक्त था। उसके शरीर के रोम बहुत बारीक थे, स्वच्छ थे, नरम थे और चिकनी द्युति वाले थे। ખાંધવાળે,બારીક, નિર્મળ અને સુકુમાર રેમથી ભરપૂર, મનહર અંગે પાંગવાળા, સધન ગેળ, ચિકણા, સુંદર, તીક્ષ્ણ, અને વિશાળ સિંગડાવાળો, શાન્ત, દાન્ત, એક સરખે ભાયમાન નિર્મળ દાંતવાળ, વૃષભને લગતાં સર્વગુણસંપન્ન मेवा, हिमालयनी पभा मापी शाय तवा 'वृषम' नये. (२०१६)
सानो अर्थ-'तओ पुण सा' त्या लायी या पछी मी स्वप्नमा शिक्षा वाये वृषम नया. ते श्वेतभળની પાંખડીઓના સમૂહને પણ મહાત કરનારી દેડકાન્તિવાળો હતે. તે પોતાનાં શરીરમાંથી ઉત્પન્ન થતાં પ્રકાશના સમૂહને
બધી તરફ ફેલાવી રહ્યો હતો અને તેથી બધી દિશાઓ પ્રકાશિત થઈ રહી હતી. પોતાની કાન્તિને પ્રકાશિત કરતે કરી, પુષ્ટ અને વિશાળ ખંધવાળો હતે. તેના શરીર પરની રૂંવારી ઘણીજ બારીક, સ્વચ્છ, નરમ, અને સુંવાળી તથા
वृषभस्वामवर्णनम्,
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