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सूत्रे
कल्पमञ्जरी
टीका
a हृदयमर्मा-कारुण्यवर्मणा-दयारूपकवचेन संरक्षितं सम्यग्रक्षितं हृदयमर्म यस्याः सा तादृशी, तथा नवतत्त्वपश्च
विंशतिक्रियाविदुषी-नव-नवसंख्यानि यानि तत्वानि जीवाजीवपुण्यपापासवसंवरनिर्जराबन्धमोक्षरूपाणि-पर
मार्थभूतानि तानि, तथा पञ्चविंशतिः क्रियाः-मिथ्याक्रिया १, प्रयोगक्रिया २, समुदानक्रिया ३, ई-पथिकी ४, श्रीकल्प
कायिकी ५, अधिकरणक्रिया ६, पाद्वेषिकी७, परितापनिका ८, प्राणातिपातक्रिया९. दर्शनक्रिया१०, स्पर्शनकिया११, ॥३३६।।
सामन्तक्रिया १२, अनुपातक्रिया १३, अनाभोगक्रिया १४, स्वहस्तक्रिया १५, निसर्गक्रिया १६, विदारणक्रिया १७, आज्ञापनक्रिया १८, अनाकाङ्कक्रिया १९, आरम्भक्रिया २०, परिग्रहक्रिया २१, मायाक्रिया २२, रागक्रिया २३, द्वेषक्रिया २४, अप्रत्याख्यानक्रिया २५, चेति ताः विदुषी-विदन्ती आसीत् । तथा-द्वादशव्रतम्-द्वादशानामुपासकका मर्म करुणा के कवच से भलीभाति सुरक्षित था अर्थात उसका हृदय करुणा से युक्त था। (१) जीव, (२) अजीव, (३) पुण्य, (४) पाप, (५) अ.सव, (६) संवर, (७) निर्जरा, (८) बन्ध और (९) मोक्ष, इन नौ तत्त्वों अर्थात् परमार्थरूप पदार्थों की तथा पच्चीस क्रियाओंकी वह जानकार थी। पच्चीस क्रियाएँ ये हैं(१) मिथ्याक्रिया, (२) प्रयोगक्रिया, (३) समुदानक्रिया, (४) ईर्यापथिकी क्रिया, (५) कायिकीक्रिया, (६) अधिकरणक्रिया, (७) प्राद्वेषिकी क्रिया, (८) परितापनिकक्रिया, (९) प्राणातिपातक्रिया, (१०) दर्शनक्रिया, (११) स्पर्शनक्रिया, (१२) सामन्तक्रिया, (१३) अनुपातक्रिया, (१४) अनाभोगक्रिया, (१५) स्वहस्तक्रिया, (१६) निसर्गक्रिया, (१७) विदारणक्रिया, (१८) आज्ञापनक्रिया, (१९) अनाकांक्षक्रिया, (२०) आरंभक्रिया, (२१) परिग्रहक्रिया, (२२) मायाक्रिया, (२३) रागक्रिया, (२४) द्वेषक्रिया, (२५) अप्रत्याख्यानक्रिया; त्रिशला महारानी इन सब क्रियाओं को जानती थी। उन्होंने बारह व्रतों को-उपासकदशांगमूत्र में कथित स्थूलથનારી હતી. તેના હૃદયને મમ કરુણાના બખતર વડે સારી રીતે સુરક્ષિત હતું. એટલે કે તેનું હદય કરુણાવાળું
तु. (१) ७५, (२) १०१. (3) पुण्य, (४) पा५, (५) मासा. (६) सं१२, (७) नि , (८) मन्य अने. (૯) મોક્ષ. એ નવ ત એટલે કે પરમાર્થરૂપ પદાર્થોની તથા પચીશ ક્રિયાઓની જાણકાર હતી. તે પચ્ચીશ ક્રિયાઓ या प्रमाणे - (१) मिथ्याडिया, (२) प्रयासया , (3) समुहान ठिया, (४) यापथि जिया, (५) डिया. (६) अधि४२५५ या, (७) पिया , (८) परितापनि लिया, (e) प्रतिपात या, (१०) ४शन लिया (११) २५शन लिया, (१२) सामन्तव्या , (१३) अनुपातहिया, (१४) अनामत या, (१५) २१९त्त या.
(१६) निसग जिया, (१७) विहार जिया, (१८) माज्ञापन जिया, (१८) मनाia लिया, (२०) मा स्या, DM (२१) परिश जिया, (२२) भाया जिया, (२३) या, (२४) ३५ डिया, (२५) मप्रत्याभ्यान (या. शिक्षा
त्रिशला
राजीवर्णनम्
॥३३६॥
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