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चरित्र
कनकमाला रानी सहित आया। सो उसने शिलाको हिलती देखकर उठाई । उसके नीचे एक मुसकराते हुए बालकको देखकर राजाने उसे अपने हाथोंमें ले लिया और रानी सहित उसको विमानमें बैठाकर अपने घर ले आया। वहां वह बालक बड़ा हो रहा है ।७-११। जिसप्रकार शुक्लपक्षके चन्द्रमाकी कला प्रति दिन बढ़ती है, उसी प्रकार उस बालकका कला कौशल्य दिनोंदिन बढ़ता जाता है । वह बालक प्रद्युम्न नामसे जगतमें विख्यात है ।१२। जब वह शुभ लक्षणोंका धारक सोलह वर्षका हो जायगा, तब सोलहप्रकारके लाभ और दो विद्याओं सहित द्वारिकाको आवेगा और अपने माता पिता से मिलेगा। प्रद्युम्नकुमारके घर आते ही जो २ शुभसूचक घटनायें होंगी, सो इस प्रकार हैंरुक्मिणीके स्तनोंमेंसे आप से आप दूध झरने लग जायगा, बनके वृक्षोंमें सब जातिके फलफूल आ जायेंगे, कमलोंके समूह प्रफुल्लित हो जायगे, घरकी बावड़ी जो सूख रही है, जलसे भर जायगी, घरके साम्हने जो अशोक वृक्ष सूखा खड़ा हुआ है, सो भी ऊपरसे नीचे तक हराभरा हो जायगा पुष्पोंके गुच्छों वा फलोंके भारसे झुक जायगा । उसपर सुगंधलोलुपी भ्रमरगण गुंजार करेंगे। इसी प्रकार दूसरे वृक्ष भी जो घरके बगीचेमें लग रहे हैं, अपनी २ ऋतुका समय उल्लंघनकर एकदम फूल फल उठेंगे । कोयलके मीठे मनोहर शब्द सुनाई देंगे, नाचते हुए मोर ऐसे सुशोभित होंगे मानों ताण्डव नृत्य करते हों, उपवनमें प्रामके वृक्षोंमें मोर आ जायगा और फल भी लग जायगे। जिनको देखकर सबका चित्तप्रफुल्लित हो जायगा। गूगे आश्चर्यजनक वाणी बोलने लगेंगे कुबड़े(कुब्ज)मनुष्योंका शरीर सीधा हो जायगा काने और अंधे दोनों आँखोंसे भलीभांति देखने लग जायगे कुत्सित (विकराल ) नेत्रवाली स्त्रियें मृगलोचनी बन जायगी कर्कशकंठवालोंका गला सुरीला हो जायगा कुरूप पुरुष रूपवान हो जायगे अशुभ लक्षणधारक शुभ लक्षणवाले बन जायगे बेडौल मनुष्य सुडौल हो जायगे और बहरे सुनने लग जायगे और रुक्मिणी रानीके शरीरभरमें रोमांव होने लगेगा। हे राजन् ! जब
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